मुंबई में 19 लोगों को बंधक बनाने वाले उद्यमी रोहित आर्य के पुलिस एनकाउंटर को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा. इस मामले पर मंगलवार (9 दिसंबर) को राज्य सरकार की आलोचना की. साथ ही दावा किया कि यह कार्रवाई गलत थी और इससे बचा जा सकता था.

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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि पवई में एक स्टूडियो से 17 बच्चों और दो वयस्कों को बचाने के दौरान गोली लगने से मारे गए आर्य ने बकाया राशि की मांग की थी. इससे पहले ‘महायुति’ सरकार के कार्यकाल के दौरान 'स्वच्छता मॉनिटर' और 'मुख्यमंत्री माजी शाला सुंदर शाला' परियोजनाओं पर काम किया था.

विधायक दल के नेता ने वीडियो पर उठाए सवाल

वडेट्टीवार ने पूछा कि आर्य ने एक वीडियो बनाया था जिसमें कहा गया था कि मुझे मेरे पैसे दे दो, मैं आतंकवादी नहीं हूं. इसके बावजूद उसे मुठभेड़ में क्यों मारा गया? उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? उस समय एक मुठभेड़ विशेषज्ञ घटनास्थल पर कैसे पहुंच गया?

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वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि आर्य का भुगतान एक पूर्व मंत्री द्वारा लिए गए फैसलों के कारण रोक दिया गया था. उन्होंने सवाल किया, 'क्या पूर्व मंत्री के खिलाफ कोई जांच हुई थी? क्या पैसा अभी भी बकाया है?'

रोहित आर्य ने 19 लोगों को बनाया था बंधक

रोहित आर्य ने 30 अक्टूबर को 10 से 12 साल की उम्र के लड़के-लड़कियों को एक वेब सीरीज के ऑडिशन के लिए पवई स्थित आर ए स्टूडियो में बुलाकर उन्हें बंधक बना लिया था. पुलिस ने तीन घंटे चले प्रकरण के बाद बच्चों को बचा लिया, लेकिन पुलिस कार्रवाई के दौरान गोली लगने से आर्य की मौत हो गई.

मामले पर गृह राज्य मंत्री ने सदन में क्या बताया?

गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने सदन को बताया कि मानवाधिकार आयोग ने जांच का आदेश दिया है, जो चल रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की क्योंकि आर्य ने बच्चों को बंधक बना रखा था. पुलिस की कार्रवाई में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि जहां जरूरत होगी, जवाबदेही तय की जाएगी. 

इस पर भोयर ने कहा कि आर्य ने सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) के तहत दो बार स्वच्छता मॉनिटर परियोजना का क्रियान्वयन किया था और उसे 9.90 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. भोयर ने कहा कि उसने गलतफहमी में यह मान लिया कि उसे तीसरी परियोजना मिल जाएगी और उसने बिना सरकारी मंजूरी के ही पैसे इकट्ठा करना शुरू कर दिया. सरकार ने उससे पैसे वापस करने को कहा था.

विधायकों ने सरकार को ठहराया दोषी

विपक्षी विधायक नाना पटोले और जयंत पाटिल ने कथित वित्तीय कुप्रबंधन के लिए सरकार को दोषी ठहराया. पटोले ने कहा कि उसने जो किया उसका बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन क्या सरकार जिम्मेदार नहीं है? अगर वह भुगतान नहीं कर सकती, तो इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है.'

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जयंत पाटिल ने सवाल उठाया कि यदि आर्य स्कूलों से अवैध रूप से धन एकत्र कर रहा था, तो केवल पत्र जारी करने के बजाय पूर्व में पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई गई.