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महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार (9 दिसंबर) को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उस समय तीखी बहस हो गई जब बीजेपी विधायकों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी तुकाराम मुंढे पर आरोप लगाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

इस बहस के बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई. सदन में यह मुद्दा उठाते हुए बीजेपी विधायक कृष्णा खोपडे ने आरोप लगाया कि 2020 में मुंढे ने बिना आवश्यक अनुमति के 20 करोड़ रुपये के चेक जारी किए थे.

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'मुंढे के दो समर्थकों ने दी मुझे धमकी'

बीजेपी विधायक कृष्णा खोपडे ने कहा, ‘‘मुंढे के दो समर्थकों ने मुझे धमकी दी और उनके खिलाफ बोलने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. मैंने सिताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस आयुक्त के साथ-साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय को भी सूचित किया है.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी का 20 साल की सेवा में 24 बार तबादला किया गया. उन्होंने अफसर के आचरण की विस्तृत जांच की मांग की.

मुंढे वर्तमान में दिव्यांग कल्याण विभाग में आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. खोपड़े के दावे का समर्थन करते हुए बीजेपी विधायक प्रवीण दटके ने कहा, ‘‘मुंढे ने एक महिला कर्मचारी की छुट्टी रद्द कर दी थी, जबकि उसने पांच दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया था. यहां तक कि शहरी विकास विभाग ने भी उनके कई फैसलों को रद्द कर दिया. इसकी गहन जांच होनी चाहिए.’’ आरोपों का जवाब देते हुए मंत्री गिरीश महाजन ने सदन को सूचित किया कि संबंधित विधायकों ने इस मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पहले ही चर्चा कर ली है.

'बीजेपी विधायक ने दोहराई अपनी मांग'

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और उचित कार्रवाई की जाएगी.’’ हालांकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध जारी रखा, जिसके कारण उपसभापति अन्ना बनसोडे ने कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी. सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर, खोपडे और दटके ने तत्काल कार्रवाई की अपनी मांग दोहराई. बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि मुंढे के खिलाफ पहले भी कई बार जांच की गई है, लेकिन उन्हें कभी दोषी नहीं ठहराया गया.

वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘21 तबादलों के बावजूद किसी भी जांच में उन पर कोई आरोप नहीं लगा. यहां तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग को भी कोई गड़बड़ी नहीं मिली. इसके विपरीत जिन महिला कर्मचारियों ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, उन पर जुर्माना लगाया गया.’’

उन्होंने सरकार से दबाव में आकर कार्रवाई न करने का आग्रह किया. कांग्रेस विधायक ने कहा, ‘‘अगर आरोप व्यक्तिगत रंजिश पर आधारित हैं, तो कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. किसी भी अधिकारी को सिर्फ इसलिए सजा नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि कोई उससे नाखुश है.’’

बाद में हस्तक्षेप करते हुए फडणवीस ने कहा कि सरकार मामले से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कराएगी. फडणवीस ने कहा, ‘‘ एक विधायक को धमकाना अनुचित है. इस मामले की गहन जांच कराई जाएगी और सदन को अवगत कराया जाएगा.’’