Mumbai News: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को आईआईटी-बॉम्बे के साथ मिलकर उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह ऐप मौसम पूर्वानुमान अनुप्रयोगों के माध्यम से गांव, शहर और जिला स्तर पर हितधारकों के लिए जलवायु समाधान में मदद करेगा. इस एप के जरिए साझेदारी से कृषि, खेती और सिंचाई, स्वास्थ्य, आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए जलवायु पूर्वानुमान और सूचना-आधारित स्मार्ट अनुप्रयोग किए जाने की उम्मीद है. साथ ही, एआई और एमएल आदि मौसम संबंधी अनुप्रयोग के अलावा विमानन, अवलोकन और उपकरण अनुप्रयोगों और जलवायु परिवर्तन नीति और मानव संसाधन विकास संबंधी अनुप्रयोगों में आसानी होगी.


लगाया जा सकता है पूर्वानुमान
एक अधिकारी ने कहा, "इस सहयोग के कुछ महत्वपूर्ण परिणामों में सेंसर और ड्रोन-आधारित स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम, जल और खाद्य सुरक्षा के लिए जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकी, बुद्धिमान और स्वचालित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, जलवायु और स्वास्थ्य, स्मार्ट पावर ग्रिड प्रबंधन, पवन का विकास शामिल है. इसके अलावा ऊर्जा और गर्मी की लहर का पूवार्नुमान लगाना आसान होगा."


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IDPCS की कब हुई थी शुरुआत?
आईआईटी-बॉम्बे ने कहा कि इसका उद्देश्य जलवायु अध्ययन में अपने अंत:विषय कार्यक्रम (आईडीपीसीएस) के तहत जलवायु सेवाओं और समाधानों में एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करना है, जो अपने छात्रों और संकाय सदस्यों की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के साथ जलवायु परिवर्तन समाधान-उन्मुख अनुसंधान करने में मदद करेगा. यह समझौता आईडीपीसीएस के 10 साल पूरे होने के साथ हुआ है. आईडीपीसीएस की शुरुआत 2012 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से मिली वित्तीय सहायता से की गई थी.


जलवायु विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण
पुणे में आईएमडी के जलवायु अनुसंधान और सेवाओं के प्रमुख के.एस. होसलीकर और आईआईटी-बॉम्बे में डीन, अनुसंधान और विकास प्रोफेसर मिलिंद अत्रे ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. पृथ्वी विज्ञान सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा, "आईआईटी-बॉम्बे द्वारा आईडीपीसीएस एक बहुत अच्छी पहल है, क्योंकि यह जलवायु विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है. विज्ञान स्वयं अंत:विषय है, क्योंकि इसमें अन्य विषयों के बीच गणित, इंजीनियरिंग समाधान और सामाजिक विज्ञान शामिल हैं और जलवायु अध्ययन के अनुशासन को भी समझने की जरूरत है."


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