17 सितंबर शाम पुणे में प्रख्यात इतिहासकार और लेखक गजानन भास्कर मेहेंदले का हृदयाघात से निधन हो गया. वह 77 साल के थे और मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने शोध कार्यों के लिए प्रसिद्ध थे.
मेहेंदले ने पांच दशकों से अधिक समय ऐतिहासिक शोध को समर्पित किया और मराठा इतिहास के सबसे भरोसेमंद विशेषज्ञों में गिने जाते थे. उनके अंतिम संस्कार की तैयारी 18 सितंबर को की जाएगी.
मेहेंदले के शोध और योगदान
मेहेंदले अविवाहित थे और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अध्ययन, साक्ष्य-आधारित शोध और व्याख्यानों को समर्पित किया. उन्होंने मराठा नौसेना, शिवाजी महाराज के युद्ध अभियानों और तत्कालीन प्रशासन पर गहराई से काम किया.
मेहेंदले को फारसी, मोदी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन सहित कई भाषाओं का ज्ञान था. उन्होंने “शिवचरित्र” (मराठी), “शिवाजी: हिज लाइफ ऐंड टाइम्स, टीपू ऐज ही रियली वाज और मराठा नेवी” जैसी पुस्तकें लिखीं. वे भारत इतिहास संशोधक मंडल और भांडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों से जुड़े रहे.
शिक्षा और कार्यशैली
1947 में जन्मे मेहेंदले ने पुणे विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर किया. उनका शोध छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और सैन्य अभियानों पर केंद्रित रहा, जिसमें उन्होंने पत्र, अभिलेख और समकालीन दस्तावेज जैसे प्राथमिक स्रोतों का विश्लेषण किया.
मेहेंदले ने शिवाजी महाराज पर कई व्याख्यान दिए और उनके जीवन के कम ज्ञात पहलुओं को सामने लाने की कोशिश की. उनकी कार्यशैली प्रमाण-आधारित कथन और ऐतिहासिक तथ्यों की गहन जांच पर आधारित थी. हाल के साल में वे इस्लाम और औरंगज़ेब पर शोध और लेखन कर रहे थे.
ऐतिहासिक जगत में शोक की लहर
मेहेंदले के निधन से इतिहास और साहित्य जगत में शोक की लहर है. उनके समकालीन इतिहासकारों और शोध संस्थानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को अद्वितीय बताया. मराठा इतिहास पर उनके शोध को आज भी प्रमाणिक माना जाता है.
उनकी किताबों ने मराठा साम्राज्य और शिवाजी महाराज की छवि को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया. विशेषज्ञों का मानना है कि मेहेंदले की अनुपस्थिति से ऐतिहासिक शोध में एक गहरी कमी महसूस होगी.