महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के विधायक प्रकाश सुर्वे का विवादित बयान राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है. सुर्वे ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘‘मराठी मेरी मां है, लेकिन उत्तर भारत मेरी मौसी है,’’ जिसके बाद विपक्षी दलों और मराठी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया. बढ़ते विरोध को देखते हुए विधायक ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है.
क्या था बयान और कैसे बढ़ा विवाद?
कार्यक्रम के दौरान सुर्वे ने कहा था, ‘‘मैं कहता हूं... मराठी मेरी मातृभूमि मेरी मां है तो उत्तर भारत मेरी मौसी है. एक बार मां मर जाए तो चलता है लेकिन मौसी मरनी नहीं चाहिए क्योंकि मौसी ज्यादा प्यार करती है.’’
उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. मुंबई और ठाणे के कई इलाकों में नाराजगी जाहिर की गई. दबाव बढ़ने पर सुर्वे ने मीडिया के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘मराठी मेरी मां और मौसी दोनों हैं. ये शब्द अनजाने में निकल गए. अगर किसी की भावना आहत हुई है, तो मैं माफी मांगता हूं.’’
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने सुर्वे का बचाव करते हुए कहा कि यह बयान जानबूझकर नहीं दिया गया था और विधायक ने तुरंत खेद जताया. सामंत ने आरोप लगाया कि विपक्ष इस मामले को बेवजह राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है. पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार मराठी भाषा की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए लगातार काम कर रही है, जिसे हाल ही में शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी मिला है.
मराठी संगठनों और विपक्ष का विरोध
वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और मराठी एकीकरण समिति ने सुर्वे के बयान को ‘‘मराठी अस्मिता पर चोट’’ बताया. 4 नवंबर को दहिसर में इन दलों ने विरोध मार्च निकाला और विधायक से सार्वजनिक मंच पर माफी की मांग की. संगठनों ने कहा कि इस तरह की तुलना मराठी संस्कृति का अपमान है और नेताओं को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए. बढ़ते विवाद के बीच सुर्वे की माफी ने हालांकि माहौल को कुछ हद तक शांत किया है, पर राजनीतिक हलकों में चर्चा अभी भी जारी है.