महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव महज 15 दिन दूर हैं, इस बीच सत्ताधारी महायुती में अंदरूनी मतभेद दिख रहा है. स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने पूरे राज्य में अपनी संगठनात्मक शक्ति बढ़ाने के लिए मेगा-भर्ती अभियान शुरू किया है. इसमें बीजेपी ने ठाकरे गुट, शिंदे गुट, राष्ट्रवादी और कांग्रेस सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल करने की कोशिश शुरू कर दी है. इसी कारण शिंदे गुट बेहद नाराज है. इसी वजह से शिंदे गुट के मंत्रियों ने मंगलवार (18 नवंबर) को मुंबई में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक का अघोषित बहिष्कार किया. 

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बाहर से सब ठीक दिख रहा था, लेकिन अंदरूनी तौर पर बड़े मतभेद स्पष्ट हो गए. शिंदे गुट की नाराजगी के पीछे कई घटनाएं जिम्मेदार बताई जा रही हैं. नगरपालिका चुनावों के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख खत्म हो चुकी है. राज्य की 246 नगरपालिकाओं और 42 नगर पंचायत चुनावों में कुछ जगह महायुती गठबंधन तो कुछ जगह घटक दल अकेले चुनाव लड़ते दिखाई दे रहे हैं. कई नगरपालिकाओं में बीजेपी ने शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवारों को अपने पक्ष में शामिल कर उन्हें टिकट दिया. इसी कारण बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के बीच राजनीतिक संघर्ष बढ़ गया है.

कैबिनेट बैठक में शिवसेना के मंत्री क्यों नहीं रहे मौजूद?

मंगलवार (18 नवंबर) को कैबिनेट बैठक से पहले शिवसेना की प्री-कैबिनेट बैठक हुई. उसके बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक थी. लेकिन इस बैठक में एकनाथ शिंदे को छोड़कर शिवसेना का एक भी मंत्री मौजूद नहीं था. जब शिंदे गुट के मंत्री गुलाबराव पाटील से इसका कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा “एकनाथ शिंदे ने हमें स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव के लिए आंकड़े और डेटा इकट्ठा करने को कहा है.”

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अब राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि इतनी जरूरी कौन-सी रणनीति थी कि शिंदे गुट को कैबिनेट बैठक छोड़नी पड़ी? कैबिनेट बैठक के बाद शिंदे गुट के सभी मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कमरे में पहुंचे और वहां बीजेपी को लेकर तीखी नाराजगी जताई. 

शिंदे गुट की नाराजगी की क्या हैं वजह?

  • बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट के नेता, नगरसेवक और पदाधिकारियों को अपने दल में शामिल कर रही है.
  • विधानसभा चुनाव में जिनके खिलाफ शिवसेना ने चुनाव लड़ा था, उन्हीं उम्मीदवारों को अब बीजेपी में शामिल किया जा रहा है.
  • शिंदे गुट के कई नेताओं और पालकमंत्रियों को भरोसे में लिए बिना निर्णय किए जा रहे हैं और फंड भी सीधे अन्य लोगों को दिया जा रहा.
  • स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में बीजेपी गठबंधन (युती) के नियमों का पालन नहीं कर रही है.
  • विकास कार्यों के लिए फंड प्राप्त करने में भी शिवसेना और शिंदे गुट के मंत्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
  • धाराशिव जिले में एकनाथ शिंदे के विभाग को दरकिनार करते हुए बीजेपी के राणा जगजीतसिंह को सीधे फंड दिया गया.
  • एकनाथ शिंदे के कई फैसलों को रद्द किया गया.
  • संभाजीनगर, कल्याण-डोंबिवली, अंबरनाथ, कोकण इन जगहों पर बीजेपी ने ऐसे नेताओं को शामिल किया जहा. गठबंधन का धर्म नहीं निभाया गया.

पिछले कई दिनों से महायुती में भारी आंतरिक मतभेद की चर्चा है. इन घटनाओं से शिंदे गुट में भारी असंतोष था. आज तक शिंदे गुट का कोई मंत्री कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित नहीं रहा था. पहली बार ऐसा हुआ, इसलिए माना जा रहा है कि नाराजगी बहुत गहरी है.

BJP की सदस्यता अभियान से बढ़ी टेंशन!

कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका के शिवसेना के पूर्व नगरसेवकों को मंगलवार (18 नवंबर) को बीजेपी में शामिल किया गया. इसे श्रीकांत शिंदे के लिए सीधा संकेत माना जा रहा है. इसके अलावा, छत्रपती संभाजीनगर में संजय शिरसाट के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले राजू शिंदे को भी बीजेपी में शामिल किया गया. इससे शिंदे गुट में सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी भविष्य में शिवसेना को किनारे करने की तैयारी कर रही है?

गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा था?

कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “महाराष्ट्र में अब बीजेपी को किसी कुबड़ी की जरूरत नहीं.” इस बयान और '100 प्रतिशत बीजेपी' रणनीति के संकेत के बाद से शिंदे की शिवसेना में भारी बेचैनी पैदा हो गई है.