Maharashtra News: प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नागपुर के वकील सतीश उके और उनके भाई ने फर्जी भूमि दस्तावेज बनाकर शहर की जमीनें हड़प लीं. ईडी ने दोनों आरोपियों को 31 मार्च को धन शोधन रोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें मुंबई ले जाया गया, जहां एक स्थानीय अदालत ने उन्हें छह अप्रैल तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.


वकील को पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए जाना जाता है. ईडी ने उस दिन (31 मार्च को) नागपुर के पार्वती नगर इलाके में वकील के आवास पर छापेमारी के तुरंत बाद गिरफ्तारियां कीं. ईडी ने कहा कि भाइयों के खिलाफ धनशोधन का मामला नागपुर पुलिस (अजनी पुलिस स्टेशन) में उनके खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकी से संबंधित है.


ईडी ने कहा कि सतीश उके और प्रदीप उके के खिलाफ पहली पुलिस प्राथमिकी दिवंगत मोहम्मद समद के भतीजे मोहम्मद जफर द्वारा दर्ज कराई गई थी, जो नागपुर के मौजा बोखरा में पांच एकड़ जमीन के मालिक थे. प्राथमिकी में आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाकर उक्त जमीन पर कब्जा कर लिया था.


यह भी पढ़ें- Maharashtra News: ट्रेन में किया था महिला को KISS, कोर्ट ने दी एक साल की सजा और लगाया इतना जुर्माना


दूसरी पुलिस प्राथमिकी ऐश्वर्य सहकारी गृह निर्माण संस्था की सचिव शोभारानी राजेंद्र नालोडे ने सतीश उके, प्रदीप उके और अन्य के खिलाफ दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने नागपुर के मौजा बाबुलखेड़ा में स्थित उनकी सोसायटी की 1.5 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है.


ईडी ने बयान में कहा, 'अब तक की गई जांच से, यह स्पष्ट हो गया है कि सतीश उके और प्रदीप उके ने धोखाधड़ी व जालसाजी का सहारा लेकर चंद्रशेखर नामदेवराव माटे और खैरुनिसा के नाम पर नकली पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) बनाई और अवैध रूप से जमीन हड़प ली. बयान के अनुसार जमीनें अभी भी सतीश उके और प्रदीप उके के 'अवैध कब्जे' में हैं. वकील ने भाजपा नेताओं, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस के खिलाफ अदालतों में कई याचिकाएं दायर की हैं.


सतीश ने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का 'खुलासा नहीं करने' के लिए फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की थी. उके का आरोप है कि भाजपा नेता फडणवीस ने अपने खिलाफ 1996 और 1998 में दर्ज धोखाधड़ी व जालसाजी के दो आपराधिक मामलों को छिपाकर 2014 में झूठा हलफनामा दायर किया.


उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष याचिका दायर कर सीबीआई के न्यायाधीश बी.एच. लोया की 'संदिग्ध व असामयिक' मौत की पुलिस जांच की मांग की थी. सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे जज लोया की कथित तौर पर 2014 में नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.


सतीश उके महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले के वकील भी हैं, जिन्होंने अपने फोन की कथित अवैध टैपिंग के लिए आईपीएस अधिकारी और राज्य की पूर्व खुफिया प्रमुख रश्मि शुक्ला व अन्य के खिलाफ यहां एक दीवानी अदालत में 500 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है.


यह भी पढ़ें


Maharashtra News: संजय राउत पर ED की कार्रवाई पर NCP का निशाना, बताया- बदले की राजनीति