महाराष्ट्र के ठाणे में सोमवार (22 सितंबर) को मेट्रो लाइन 4 और 4ए के पहले फेज का ट्रायल रन किया गया. इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जोर देते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट से मुंबई महानगर क्षेत्र में यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा. सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और राज्य के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर प्रताप सरनाईक ने गायमुख जंक्शन और विजय गार्डन के बीच 4 किलोमीटर लंबे हिस्से पर मेट्रो की सवारी की. मेट्रो के काम में देरी और लागत बढ़ने पर सीएम फडणवीस ने एमवीए की पिछली सरकार को घेरा.

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महाराष्ट्र के CM ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हमारी कोशिश है कि मेट्रो लाइन का यह रूट अगले साल के अंत तक पूरा हो जाए. कुछ काम अगले साल तक चल सकता है, लेकिन पूरा होने के बाद, यह देश का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क होगा." उन्होंने ये भी बताया कि मोगरपाड़ा में 45 एकड़ जमीन पर एक डिपो भी बनाया जा रहा है, जो मेट्रो लाइन 4, 4ए, 10 और 11 की सेवाएं प्रदान करेगा. 

मेट्रो लाइन से 22 लाख लोगों को होगा फायदा- फडणवीस

उन्होंने आगे कहा, ''इन सेवाओं से हर दिन कम से कम 22 लाख लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है, जिससे उनके यात्रा समय में 50 से 75 फीसदी की बचत होगी. इस प्रोजेक्ट में करीब 16,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. 35.20 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन 4 और 4ए मुंबई के वडाला, घाटकोपर और मुलुंड इलाकों को ठाणे के कासरवडावली और गायमुख से जोड़ेगी.'' सीएम ने ये भी बताया कि एक बार तैयार हो जाने पर, इस मेट्रो लाइन में 8 बड़े इंटरचेंज भी होंगे जो पूरे मुंबई महानगर क्षेत्र में नेटवर्क को जोड़ेंगे.

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मेट्रो के काम में देरी पर सीएम का MVA पर हमला

CM देवेंद्र फडणवीस ने मेट्रो कार्यों में देरी और लागत में बढ़ोत्तरी को लेकर पिछली महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ''पिछली सरकार ने मेट्रो समेत कई महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी. इसके परिणामस्वरूप ढाई साल से ज्यादा की देरी हुई और लागत बढ़ी.''

डिप्टी सीएम शिंदे ने पिछली सरकारों को घेरा

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे, जो एमएमआरडीए के अध्यक्ष भी हैं, ने ठाणे की उपेक्षा के लिए पिछली सरकारों की आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ''तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल में ठाणे के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. बढ़ती आबादी और कनेक्टिविटी की जरूरत के बावजूद, ठाणे की मेट्रो की मांगों को नजरअंदाज किया गया. हमें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा लेकिन महायुति सरकार के लगातार प्रयासों के कारण, प्रोजेक्ट अब मजबूती से पटरी पर लौट रही है.''