Caste Census News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जाति जनगणना को मंजूरी दे दी गई. इस पर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अब उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना-यूबीटी की ओर से राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और प्रवक्ता आनंद दुबे के बयान सामने आए हैं.
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "पहले आपकी धर्म पहचान, फिर आपकी आर्थिक स्थिति पहचान, अब आती है आपकी जाति पहचान, हम पहले भारतीय कब बनेंगे? उस व्यक्ति से पूछ रही हूं, जिन्होंने 11 साल पहले हमें एक नया भारत बनाने का वादा किया था."
आनंद दुबे ने जाति जनगणना पर क्या कहा?
वहीं आनंद दुबे ने कहा, "कुछ जातियां ऐसी हैं जो मुख्यधारा से पीछे हैं और विपक्ष जाति जनगणना की मांग कर रहा है और आखिरकार पीएम मोदी और उनकी सरकार इस पर सहमत हो गई है. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन हमारा एक सवाल यह भी है कि पीएम मोदी, क्या आपने यह फैसला सिर्फ बिहार चुनाव के कारण लिया? हम चाहते हैं कि समाज की बेहतरी के लिए जल्द से जल्द जाति जनगणना हो. यह फैसला बहुत अच्छा है."
फिलहाल जाति जनगणना पर प्रियंका चतुर्वेदी और आनंद दुबे के बायन अलग-अलग है, अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में इस पर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का क्या स्टैंड रहता है?
जाति जनगणना पर अश्विनी वैष्णव ने क्या बताया?
बता दें कि बुधवार को कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना को मंजूरी दी गई. सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है.
उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, एक सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि इस सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया. वैष्णव ने कहा कि जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है और यह केंद्र का विषय है. हालांकि, कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है. जहां कुछ राज्यों में यह कार्य सुचारू रूप से संपन्न हुआ, वहीं कुछ अन्य राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से और गैर पारदर्शी ढंग से सर्वे किया.