Maharashtra News: बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए गुरूवार को कहा कि वह कुछ मुद्दों पर त्वरित फैसले लेती है, लेकिन शहीद की विधवा को आर्थिक लाभ देने के संबंध में निर्णय लेने में देरी कर रही है.


कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेने में सरकार की देरी स्वीकार्य नहीं है. अदालत ने कहा, ‘‘राज्य सरकार बड़े मुद्दों पर त्वरित निर्णय लेने की क्षमता रखती है. खासकर मुख्यमंत्री के लिए यह एक छोटा सा मुद्दा है.’’


कब होगी अगली सुनवाई?
पीठ दिवंगत मेजर अनुज सूद की विधवा आकृति सूद के दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में 2000 और 2019 में जारी दो सरकारी प्रस्तावों के तहत पूर्व सैनिकों के लिए (मौद्रिक) लाभ का अनुरोध किया गया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 अप्रैल तय की और कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार तब तक कोई निर्णय ले लेगी.


मेजर सूद दो मई, 2020 को उस वक्त शहीद हो गए थे जब वह बंधक बनाए गए लोगों को आतंकवादियों के चंगुल से बचा रहे थे. उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, केवल वे लोग इस राहत और भत्ते के पात्र हैं जिनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ है या जो लगातार 15 साल तक राज्य में रहे हैं. उच्च न्यायालय ने पिछले महीने सरकार से इस संबंध में निर्णय लेने को कहा था कि क्या वह शहीद के परिवार को लाभ देने के लिए इसे एक ‘‘विशेष मामले’’ के रूप में मान सकती है.


पीठ को गुरूवार को सहायक सरकारी वकील पी जे गव्हाणे ने सूचित किया कि इस मुद्दे पर निर्णय कुछ प्रशासनिक कारणों से चार सप्ताह के बाद ही लिया जा सकता है और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है. अदालत ने कहा कि ऐसे कारण स्वीकार्य नहीं हैं. अदालत ने कहा, ‘‘इन आधार पर यह देरी स्वीकार्य नहीं है. कुछ प्रस्ताव रातोंरात लाए जाते हैं और जब सरकार चाहती है तब त्वरित फैसले ले लिए जाते हैं.’’ पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और उचित निर्णय लेना चाहिए.


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