Bombay High Court News: बंबई उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट मामले से जुड़ी अपीलों में प्रतिनिधित्व करने के लिए नए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) की नियुक्ति नहीं करने पर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कहा, मामले को गंभीरता से लें. जबकि ट्रायल कोर्ट ने 2015 में इस मामले में पांच आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन इसकी पुष्टि के साथ-साथ उच्च न्यायालय में आरोपियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है. 


उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में शाम के समय लोकल ट्रेनों में सात विस्फोट हुए, जिसमें 180 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. जब अपीलें बुधवार को सुनवाई के लिए आईं, तो अदालत को सूचित किया गया कि राज्य सरकार ने अभी तक एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त नहीं किया है.


क्यों सुनवाई स्थगित कर दी गई?
वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे को एसपीपी नियुक्त किया गया था क्योंकि उन्होंने मुकदमे के दौरान अभियोजक के रूप में कार्य किया था. लेकिन उन्होंने अपीलीय स्तर पर एसपीपी के रूप में कार्य न करने की इच्छा व्यक्त की, इसलिए सुनवाई स्थगित कर दी गई. सरकार ने फिर से ठाकरे से संपर्क किया और उनसे जानकारी लेने का अनुरोध किया. लेकिन अदालत को बताया गया कि उनकी नियुक्ति की शर्तें अभी तय नहीं हुई हैं.


समय मांगने पर पीठ ने नाराजगी क्यों जाहिर की?
वहीं, बुधवार को जब सरकार ने और समय मांगा तो पीठ ने नाराजगी जाहिर की. न्यायधीशों ने कहा, “क्या आप इन अपीलों के साथ इसी तरह व्यवहार कर रहे हैं? सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. हम कल सुबह राज्य के गृह विभाग के मुख्य सचिव को बुलाकर जवाब मांगेंगे.” आखिरकार, उच्च न्यायालय ने सरकार को 8 सितंबर तक इस मुद्दे को सुलझाने का निर्देश दिया और कानून और न्यायपालिका विभाग के एक अधिकारी को उस दिन उपस्थित रहने का निर्देश दिया.


जस्टिस साम्ब्रे ने कहा, “हमें मध्य स्तर के अधिकारी नहीं चाहिए, हम सरकार से कोई चाहते हैं. अगर परसों तक एसपीपी की नियुक्ति पर उपरोक्त मुद्दे पर विफलता होती है, तो हम कानून और न्यायपालिका विभाग के प्रमुख सचिव को बुलाएंगे. अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह 5 अक्टूबर से दैनिक आधार पर अपीलों की सुनवाई शुरू करने के इच्छुक है.


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