पहले दौर की तीखी बैठक के बाद अब महायुति में बीएमसी चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर दूसरे दौर की अहम बातचीत होने जा रही है. बीएमसी चुनाव से पहले भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच दादर स्थित ‘वसंत स्मृति’ कार्यालय में आज फिर आमने-सामने चर्चा होगी. इस बैठक को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि पहली बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हुई थी.

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बीएमसी चुनाव को लेकर महायुति के भीतर खींचतान लगातार सामने आ रही है. पहली बैठक में शिवसेना (शिंदे) ने ज्यादा सीटों की मांग की थी, जबकि भाजपा ने सीमित सीटों का प्रस्ताव रखा. इसी टकराव के चलते बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई थी. अब दूसरी बैठक में दोनों दल किसी ठोस फॉर्मूले पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे.

भाजपा ने रखा सीट बंटवारे का फॉर्मूला (BJP Seat Sharing Formula)

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने सीट बंटवारे के लिए कुछ बुनियादी मानक सामने रखे हैं. इसके तहत 2017 के बीएमसी चुनाव में भाजपा द्वारा जीती गई सभी 82 सीटों पर दावा बरकरार रखने की बात कही गई है.

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भाजपा का कहना है कि जहां पार्टी के भीतर बगावत के चलते उम्मीदवार हारे थे, वहां भाजपा उम्मीदवार को मिले वोट और बागी उम्मीदवार को मिले वोट जोड़कर आकलन किया जाए.

कम अंतर से हारी सीटों पर भी दावा

भाजपा का तर्क है कि जिन वार्डों में उसके उम्मीदवार बहुत कम अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे, उन सीटों पर भी पार्टी को मौका मिलना चाहिए. भले ही वहां शिवसेना का मौजूदा नगरसेवक क्यों न हो. भाजपा इसे अपनी चुनावी मजबूती का आधार बता रही है.

सीट बंटवारे के फॉर्मूले में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को लीड देने वाले विधानसभा क्षेत्रों के वार्डों को भी शामिल किया गया है. हालांकि इस बिंदु पर शिवसेना ने कड़ी आपत्ति जताई है. शिवसेना का कहना है कि 2017 में वार्डों का पुनर्गठन हो चुका है, ऐसे में 2014 के आंकड़ों को आधार बनाना सही नहीं होगा.

कुछ विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड ही नहीं

सूत्रों के अनुसार, मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से करीब 8 विधानसभा क्षेत्रों में एक भी वार्ड नहीं है. इनमें बांद्रा पश्चिम, अंधेरी पूर्व, अंधेरी पश्चिम, मागाठाणे और घाटकोपर पश्चिम जैसे इलाके शामिल हैं. इसे लेकर भी शिवसेना ने असंतोष जताया है.

मराठी बहुल इलाकों पर नाराजगी

दादर-माहिम, वडाला और वरली जैसे मराठी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में बहुत कम सीटें छोड़े जाने पर भी शिवसेना नाराज है. पार्टी का कहना है कि इन इलाकों में उसकी पारंपरिक पकड़ रही है, इसलिए यहां ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए.