BMC Election 2022: बीएमसी चुनावों (BMC Election) को लेकर इस समय मुंबई (Mumbai) में सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुट गई हैं. फिलहाल बीएमसी पर शिवसेना (Shiv Sena) का कब्जा है. साल 2017 में हुए चुनावों में शिव सेना को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं. महाराष्ट्र में चुनावों के नतीजें चाहे जैसे भी रहें लेकिन बीएमसी पर बीते 25 साल से शिवसेना काबिज है. कभी बहुमत से तो कभी गठबंधन के सहारे से शिवसेना लगातार सत्ता में बनी हुई है. ऐसे में अपनी इस जीत को बरकरार रखना शिवसेना के लिए एक बड़ी चुनौति साबित होगी. 


बीते 25 सालों की बात करें तो साल 1997 के बीएमसी चुनावों में शिवसेना को 103 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके बाद साल 2002 में बीएमसी ने 97 सीटों पर जीत हासिल की थी और बीजेपी गठबंधन के साथ सत्ता में आई. इसके बाद साल 2007 में शिवसेना को 84 सीटों पर जीत मिली. साल 2012 और 2017 में शिवसेना को क्रमश  75 और 84 सीटों पर जीत मिली. 


करप्शन के आरोप बिगाड़ सकते हैं शिवसेना का खेल


आने वाले चुनावों को देखते हुए ऐसा लगता है कि शिवसेना के नेताओं पर लग रहे करप्शन के आरोप पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. हाल ही में आयकर विभाग (Income tax department) की टीम ने बीएमसी स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन यशवंत जाधव (Yashwant Jadhav) के घर पर रेड की थी. आयकर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीएमसी की स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन यशवंत जाधव के अलावा कुछ बीएमसी ठेकदारों पर भी इनकम टैक्स की रेड हुई थी.


यशवंत जाधव पर आरोप है कि साल 2018 से 2020 तक बीएमसी द्वारा जारी किए गए कई टेंडरों में टेंडर दिलवाने में यशवंत जाधव ने कमीशन लिया था. कमीशन का आंकड़ा करीब 15 करोड़ का था. आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक, उस 15 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी को यशवंत जाधव ने कुछ निजी कंपनियों को दिया और उनसे अपनी शेल कम्पनियों में ये ब्लैक मनी ट्रांसफर करवाया था.


बीजेपी बनाएगी मुद्दा


शिवसेना नेता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को बीजेपी आने वाले चुनावों में मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश करेगी. ऐसे में पार्षद यशवंत जाधव के अलावा एमवीए सरकार (MVA Govt) के नेताओं पर लगातार ईडी (ED) और आईटी (IT) विभाग के एक्शन इन चुनावों में शिवसेना का खेल बिगाड़ सकती हैं. हाल ही में नवाब मलिक (Nawab Malik), प्रजक्त तानपुरे (Prajakt Tanpure) और अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) जैसे बड़े नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियां शिकंजा कस चुकी हैं. इसी को बीजेपी आने वाले चुनावों में हथियार बनाने की कोशिश करेगी. 


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