मराठा आरक्षण एक्टिविस्ट मनोज जरांगे पाटिल को बीजेपी के विधायक परिणय फुके ने निशाने पर लिया है. दरअसल, पाटिल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर कहा था कि वो सरकार में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत मराठा नेताओं के राजनीतिक करियर को खत्म करने का काम कर रहे हैं.

साथ ही जरांगे पाटिल ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय से किए वादे पूरे करने में विफल रही है. उन्होंने 29 अगस्त से मुंबई में अनशन करने का ऐलान किया.

जरांगे सिर्फ चुनाव के समय सामने आते हैं- परिणय फुके

पाटिल के बयान पर परिणय फुके ने कहा, “जैसे बारिश में मेंढक बाहर निकलते हैं, वैसे ही जरांगे भी सिर्फ चुनाव के समय सामने आते हैं. उनकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है. उनका रिमोट कंट्रोल एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार के हाथ में है.”

बीजेपी नेता ने कहा कि फडणवीस पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने मराठों को आरक्षण दिया. उन्होंने कहा, “शायद जरांगे नहीं चाहते कि मराठाओं को आरक्षण मिले. शायद वह मराठा और अन्य समुदायों के बीच फूट डालना चाहते हैं.” 

राधाकृष्ण विखे पाटिल का मनोज जरांगे पर निशाना

इससे पहले धाराशिव में, राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी जरांगे पर हमला बोला और सवाल उठाया कि वे सिर्फ फडणवीस को ही क्यों निशाना बनाते हैं. वो पवार के रुख पर आपत्ति क्यों नहीं जताते?

विखे पाटिल ने कहा, “क्या आप फडणवीस की आलोचना करके आरक्षण हासिल करेंगे? आपको आरक्षण तो फडणवीस ने ही दिया था, जो तब तक चला जब तक सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द नहीं कर दिया.”

जरांगे की मांग है कि सभी मराठाओं को कुणबी, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में सूचीबद्ध एक कृषक जाति है, के रूप में मान्यता दी जाए. राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए.

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