MNS-BJP Alliance: मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की हाल ही में दिल्ली में बीजेपी नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात से महाराष्ट्र में मनसे और महागठबंधन के बीच संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि राज ठाकरे को लोकसभा चुनाव में महायुती की तरफ से कितनी सीटें मिलती है इसपर मंथन जारी है.


बैठक के दौरान राज ठाकरे ने प्रस्ताव रखा कि एमएनएस को दो सीटें आवंटित की जाएं. राज ठाकरे दक्षिण मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई सीट की मांग कर रहे हैं. हालांकि, अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मनसे को केवल एक सीट आवंटित की जा सकती है, उन्हें दो सीटें देना संभव नहीं होगा. हालांकि ये बैठक तो अमित शाह और राज ठाकरे के बीच हुई थी लेकिन इस बैठक में उद्धव ठाकरे को लेकर भी चर्चा हुई.


बैठक में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, उनके बेटे अमित ठाकरे के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले भी मौजूद रहे.


राज ठाकरे और अमित शाह के बीच क्या बात हुई?
ABP माझा को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज ठाकरे ने प्रस्ताव दिया था कि दक्षिण मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई एमएनएस को दो सीटें दी जानी चाहिए. अमित शाह ने कहा कि सिर्फ एक सीट दे सकते हैं और दूसरी सीट देना मुश्किल है. अमित शाह ने कहा कि हम विधानसभा का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे लेकिन सीटों का बंटवारा तभी तय होगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि अमित शाह ने स्पष्ट रुख अपना लिया है कि जो पहले उद्धव ठाकरे के साथ हुआ उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए और इसलिए हम केवल लोकसभा के बारे में बात करेंगे.


आगामी लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में बीजेपी ने नई चाल चली है और एमएनएस को गठबंधन की पेशकश की है. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की सहानुभूति लहर को तोड़ने के लिए ही राज ठाकरे को समर्थन देने का फैसला किया है. जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ रही है, सभी की निगाहें मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे पर टिकी हैं कि वह बीजेपी के प्रस्ताव के जवाब में क्या कदम उठाएंगे.


उद्धव ठाकरे महागठबंधन में बीजेपी के पुराने सहयोगी और एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के चचेरे भाई हैं. 2019 के चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई और बीजेपी शिवसेना अलग हो गई और उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस, एनसीपी को समर्थन देने का फैसला किया. राज्य में महा विकास अघाड़ी अस्तित्व में आई और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. लेकिन उसके बाद केवल दो वर्षों में ही बड़ा उलटफेर हो गया और उनकी कुर्सी चली है.


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