देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार (18 नवंबर) को शिवसेना के अधिकतर मंत्री शामिल नहीं हुए. वहीं, सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि बैठक के दौरान उन्हें किसी असंतोष का एहसास नहीं हुआ.

Continues below advertisement

किस वजह से मामले ने पकड़ा तूल?

सूत्रों के अनुसार, शिवसेना की ओर से केवल उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख एकनाथ शिंदे ही मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, सत्तारूढ़ शिवसेना अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को यह संदेश देना चाहती थी कि उसे बीजेपी द्वारा उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने पाले में करना मंजूर नहीं है. कल्याण-डोंबिवली में हाल में शिवसेना से बीजेपी में शामिल हुए लोगों की वजह से इस मुद्दे ने तूल पकड़ा है.

अजित पवार ने क्या वजह बताई?

हालांकि, मुंबई में मीडिया से बातचीत में अजित पवार ने कहा कि उन्हें लगता है कि दो दिसंबर को होने वाले नगर परिषद चुनावों के लिए नामांकन पत्रों की जांच के कारण शिवसेना के मंत्री अनुपस्थित रहे.

Continues below advertisement

पवार ने कहा, 'एनसीपी के मकरंद पाटिल (मंत्रिमंडल बैठक में) अनुपस्थित थे. हसन मुश्रीफ भी जल्दी चले गए. अगर मुझे शिवसेना के मंत्रियों की नाराज़गी के बारे में पता होता, तो मैं एकनाथ शिंदे से इस बारे में पूछता. लेकिन मुझे किसी तरह की नाराज़गी का एहसास नहीं हुआ.'

सभी दलों को जनाधार बढ़ाने का अधिकार- पवार

डिप्टी सीएम ने ये भी कहा कि सभी दलों को अपना दायरा और अपना जनाधार बढ़ाने का अधिकार है. पवार ने कहा, 'ऐसा तब ज़्यादा होता है, जब चुनाव नज़दीक होते हैं.' महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ में बीजेपी, शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं.

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने कल्याण-डोंबिवली में शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल कर लिया है, जिससे शिंदे की पार्टी में बेचैनी और असंतोष फैल गया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण डोंबिवली से हैं, वहीं एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं.