महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने 'वोट दो, फंड मिलेगा' वाले विवादित बयान पर सोमवार (24 नवंबर) को सफाई दी. उन्होंने कहा कि उन पर पिछले पैंतीस वर्षों में तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उन पर 'किसी का कोई कर्ज नहीं’ हैं. परभणी जिले के जिंतुर में दो दिसंबर को होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार के दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया उनकी हर बात पर कड़ी नजर रखता है और किसी भी मुद्दे को तुरंत उनसे जोड़ देता है.
उन्होंने कहा, ''वह आचार संहिता का सम्मान करते हैं और सार्वजनिक कामकाज में कभी–कभी भूल हो सकती है.'' अजित पवार ने शुक्रवार (21 नवंबर) को पुणे जिले की बारामती तहसील के मालेगांव नगर पंचायत प्रचार में कहा था कि अगर जनता उनके उम्मीदवारों को चुनेगी तो फंड की कमी नहीं होगी, लेकिन अगर उन्हें ‘नकार’ दिया गया, तो वह भी ‘नकार’ देंगे.
आरोपों के बावजूद मैं किसी का ऋणी नहीं- अजित पवार
इस बयान पर विपक्ष ने उन्हें घेरते हुए माफी की मांग की थी. विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आचार संहिता को समझता हूं और इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अनेक आरोपों के बावजूद मैं जानता हूं कि मैं किसी का ऋणी नहीं हूं.’’ जिंतुर चुनाव से पहले उन्होंने क्षेत्र के विकास का आश्वासन दिया और कहा, ‘‘विकास कार्यों से प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.’’
उन्होंने चुनाव आयोग से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि कुछ गैर–सरकारी समूह मतदाताओं के घर जाकर निजी जानकारी मांग रहे हैं और कानून सबके लिए समान होना चाहिए.
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उनका बचाव किया था. उन्होंने रविवार (23 नवंबर) को फंड को लेकर भेदभाव की बात को खारिज कर दिया था और कहा था कि सरकार का लक्ष्य सभी क्षेत्रों का विकास करना है. उन्होंने कहा कि भले ही हमारे सहयोगी या किसी ने ऐसा कहा हो लेकिन यह उनका इरादा नहीं था और वे कभी भी ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे.