लोकसभा में हाल ही में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इस बिल के अनुसार, गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है.
विपक्ष इस पर लगातार हमलावर है. शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस प्रस्ताव को विपक्ष को कमजोर करने का हथकंडा बताते हुए सरकार पर लोकतंत्र खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया.
प्रियंका चतुर्वेदी का बयान
प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को एएनआई को दिए बयान में कहा, “सभी चाहते हैं कि राजनीति में पारदर्शिता हो और नेता भ्रष्टाचार से दूर रहें, लेकिन सरकार 2014 में किए गए अपने वादे, ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ पर विफल रही है. भ्रष्टाचार के नाम पर विपक्षी नेताओं को जेल में डालना और ED, CBI, IT को बीजेपी मुख्यालय से चलाना सरकार की मंशा स्पष्ट करता है. यह विधेयक विपक्षी नेताओं को सत्ता से हटाने और पार्टियों को तोड़ने की साजिश है.”
वन नेशन, वन पार्टी एजेंडा का आरोप
उन्होंने कहा कि इस कदम से जे.पी. नड्डा के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए बयान, वन नेशन, वन पार्टी को लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार बढ़ रही है. प्रियंका ने दावा किया कि या तो चुनाव आयोग के जरिए या इस तरह के कानून बनाकर, सरकार विपक्ष को समाप्त करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, “हम JPC में इस विधेयक का कड़ा विरोध करेंगे. यह लोकतंत्र और जनता के अधिकारों के खिलाफ है. जनता तय करती है कि उनका मुख्यमंत्री कौन होगा, और यह कानून उस विश्वास को कमजोर कर रहा है.”
लोकतंत्र पर खतरे का संकेत
प्रियंका ने आगे कहा कि जनता का सरकार पर भरोसा पहले ही कम हो गया है और अब यह कदम विपक्ष को खत्म करने की मंशा को और उजागर करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक न केवल संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली को भी कमजोर करता है. फिलहाल, विपक्षी दलों ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में चुनौती देने का एलान किया है, जिससे संसद में इस पर तीखी बहस की संभावना है.