Singrauli News: मध्य प्रदेश की उर्जाधानी सिंगरौली जिले में आज भी लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी का दूषित पानी पीना पड़ता है. ताजा मामला जिले के चांचर, मझौली गांव से है. वहां रोज सुबह लोगों को पहले चूहे की तरह गड्ढा खोदकर पानी लाना पड़ता है. उसके बाद भी उन्हें पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पता है. इससे ग्रामीणों का गुस्सा फुट पड़ा है.वे मटके लेकर सैकड़ों की तादाद में डीएम यानी जिलाधिकारी के पास पहुंचे. ग्रामीणों ने फरियाद करते हुए कहा कि कलेक्टर साहब हमे पानी दिला दीजिए, नदी में गड्ढे खोदकर दूषित पानी से हम लोग अपनी प्यास बुझा रहें हैं. जैसे ही यह जानकारी एबीपी न्यूज़ को लगी, हमने उस गांव में जाकर पड़ताल की. इसमें पता चला कि वहां के ग्रामीण कई सालों से नदी के पानी को पीने के लिए विवश हैं. 


पानी की घोर किल्लत झेल रहे हैं ग्रामीण


दरअसल मध्य प्रदेश के सत्ताधारी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक रामलल्लू वैश्य के विधानसभा क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीण आज भी पानी की घोर किल्लत झेलने को मजबूर हैं. वहीं, चांचर, मझौली गांव के दर्जनों ग्रामीण सुबह उठकर सबसे पहले दो किलोमीटर दूर नदी में जाकर चूहे की तरह गड्ढा खोदते हैं. इसके बाद उसमें जो पानी निकलता है, उसी पानी से ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं. एबीपी न्यूज की टीम को चांचर गांव मे बहने वाली म्यार नदी में एक गड्ढे खोदकर पानी भरती कुछ महिलाएं मिलीं. इन महिलाओं ने बताया कि गांव में पानी की समस्या आज से नहीं बल्कि कई सालों से है. उन्होंने बताया कि 15-20 सालों से वे लोग इसी नदी का पानी पीते हैं. उन्होंने कहा कि वे मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि गांव में न तो कुंआ है और न ही हैंडपम्प,एक नदी है जिसके सहारे गांव की आधी आबादी अपनी प्यास बुझाती है. 


नदी में पानी भरने आए चाचर गांव निवासी मन्नेलाल ने बताया कि दो किलोमीटर दूर से हम लोग पानी लेने इसी नदी में आते हैं. नदी का पानी गंदा और दूषित है. लेकिन क्या करें इसी पानी को छानकर हम लोग अपनी प्यास बुझाते हैं. उनका कहना था कि चुनाव के समय नेता लोग जरूर आते हैं, वादें करते हैं कि पानी की किल्लत नहीं होगी, लेकिन आज तक न तो पानी की समस्या दूर हुई और न ही नेता चुनाव जीतने के बाद दुबारा नजर आए. 
 
हर दिन खोदना पड़ता है गड्ढा


ग्रामीणों को यहां किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है. बल्कि हर दिन पीने के पानी के खोज में दो किलोमीटर दूर जाकर बहते नदी की धार के किनारे चूहे ही तरह उन्हें गड्ढा खोदना पड़ता है. ताकि जो पानी खोदे हुए गड्ढा से निकले उसे घड़ा और अन्य बर्तनों में भरकर अपने घर ने जा सकें. प्रत्येक दिन पानी की घोर किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों का कहना है कि गांव में चांपाकल तो है लेकिन उसमें से पानी नहीं निकलता है. इससे ग्रामीण महिलाएं प्रत्येक दिन गांव से दो किलोमीटर दूर जाकर नदी के किनारे गड्ढा खोदकर गंदे पानी लाती है. उसी से वो अपना जीवन यापन करते हैं.


क्या कहना है बीजेपी विधायक का


इस क्षेत्र के विधायक रामलल्लू वैश्य ने  कहा कि पाइप लाइन के जरिए हर घर तक जल पहुंचाया जा रहा है. साल डेढ़ साल के भीतर हर घर तक पानी पहुंच जाएगा. फिलहाल हैंडपंप के लिए विभाग को निर्देशित किया गया है,जल्द ही ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जाएगा. 


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