सदियों से चली आ रही विजयादशमी की रावण दहन परंपरा को इस बार इंदौर ने नया रूप दिया है- बुराई के प्रतीकों को जलाकर अच्छाई का संदेश फैलाने का संकल्प. इंदौर के महालक्ष्मी मेला ग्राउंड में इस बार दशहरे पर परंपरागत रावण दहन की जगह महिला अपराधियों के पुतले जलाए जाएंगे. रावण के 10 चेहरों की जगह उन 11 महिलाओं के पोस्टर लगाए गए हैं जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पतियों या मासूम बच्चों की बेरहमी से हत्या की थी. 

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इनमें सबसे चर्चित नाम सोनम का है, जिस पर आरोप है कि उसने हनीमून पर शिलांग ले जाकर अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या कर दी. यह आयोजन समाज में घरेलू हिंसा और पत्नी पीड़ित पुरुषों के मुद्दों को सामने लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है और शहर में इसकी चर्चा जोरों पर है.

'मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखाएं' का पोस्टर वायरल 

इस बार दशहरे पर रावण के 10 सिरों के बजाय उन महिलाओं के पोस्टर होंगे जिनके अपराधों ने समाज को झकझोर दिया. आयोजन 2 अक्टूबर की शाम साढ़े छह बजे महालक्ष्मी मेला ग्राउंड में होगा और इसे संस्था पौरुष (पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरासमेंट) आयोजित कर रही है.

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सोशल मीडिया पर “मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखाएं” नाम का पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें इन महिलाओं की तस्वीरें पहली बार सामने आई हैं. यह कार्यक्रम सिर्फ पुतला दहन नहीं बल्कि समाज में महिला अपराधों पर भी ध्यान खींचने की कोशिश है.

पत्नी पीड़ित पुरुषों की आवाज बुलंद करना मकसद

संस्था पौरुष के एडवोकेट अशोक दशोरा के मुताबिक यह कार्यक्रम पत्नी पीड़ित पुरुषों की आवाज बुलंद करने के लिए किया जा रहा है. संस्था का मानना है कि समाज में महिला अपराधों पर भी उतनी ही गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए जितनी पुरुष अपराधों पर होती है.

इस बार का आयोजन सिर्फ एक सांकेतिक संदेश है ताकि लोग घरेलू हिंसा के हर रूप को समझें और उसका विरोध करें. रावण दहन की जगह शूर्पणखा दहन का आयोजन इस सोच के तहत किया जा रहा है कि बुराई का कोई भी रूप क्यों न हो, उसका अंत होना चाहिए.

इंदौर के इस अनोखे आयोजन से समाज में एक अलग तरह का संदेश जाएगा. आयोजकों का कहना है कि रावण दहन प्रतीक है बुराई के अंत का और इस बार वे यह दिखाना चाहते हैं कि बुराई केवल पुरुष तक सीमित नहीं है.

11 मुखी महिला अपराधियों के पुतले जलाना महिला अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश होगा और समाज को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि घरेलू हिंसा या हत्या जैसी घटनाओं को किसी भी परिस्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता. दशहरे के इस अवसर पर यह अनूठी पहल चर्चा में है और शहर के लोग इस कार्यक्रम को लेकर उत्सुक हैं.