Love Story of Rani Roopmati and Baz Bahadur: 'तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या, मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं, खुशबू आती रहे दूर ही से सही, सामने हो चमन कोई कम तो नहीं', फिल्म 'सरस्वतीचंद्र' के एक गाने की ये पक्तियां रानी रूपमती (Rani Roopmati) और सुल्तान बाज बहादुर (Baz Bahadur) की अमर प्रेम गाथा के रूप में चरितार्थ है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) में दौलतपुर गांव खिवनी अभ्यारण की सीमा पर बसा हुआ है. साथ ही इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. यह मालवा के युवराज बाज बहादुर और रानी रूपमती का लव प्वॉइंट रहा है.

 

दौलतपुर शांति सद्भाव और प्रेम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रहा है. इछावर के दौलतपुर क्षेत्र के जंगलों में खेली, पली और बड़ी हुई रानी रूपमती का मालवा के सुल्तान ग्यासुद्दीन के पुत्र युवराज बाज बहादुर के साथ प्रेम-प्रसंग आज भी इतिहास के पन्नों में आदर्श माना जाता है. ग्रामीण परिवेश में पली रानी रूपमती को कोख से ही अद्भुत सुंदरता प्राप्त थी. वह जितनी सुंदर थी उतनी ही अच्छी गायिका भी थी.

 

रानी रूपमती ने नहीं किया धर्म परिवर्तन

 

इतिहास के पन्नों में उल्लेख है कि रानी रूपमती ने मांडवगढ़ में सुल्तान बाज बहादुर के साथ आर्दश प्रेमिका के रूप में जीवन बिताते हुए प्रेम की अमर गाथा लिखी. रानी रूपमती ने न तो धर्म परिवर्तन किया बल्कि पृथक महल में केवल प्रेमिका के रूप में जीवन बिताया. दोनों प्रेमी युगल की सारंगपुर में पास-पास बनी मजार आज भी प्रेम की अमर गाथा का बयान कर रही है. रानी रूपमती और बाज बहादुर की इस अमर प्रेम गाथा से 14 फरवरी को यानी वैलेंटाइन डे पर कितने युवा प्रेरणा लेंगे, यह अलग बात है, लेकिन दौलतपुर प्रदेश का एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जो रानी रूपमती और बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है.

 

यहां के खंडहर और इमारतें हमें इतिहास के उस झरोखे का दर्शन कराते हैं, जिसमें हम दौलतपुर की विशाल समृद्ध विरासत से रूबरू होते हैं. रानी रूपमती का किला इनके प्यार का गवाह है. भारतीय संस्कृति के समर्थक जहां इस वैलेंटाइन डे को मनाने का विरोध तो करते हैं, लेकिन वे भी इस दिन को मित्र दिवस, मातृ-पितृ दिवस या फिर शुभेच्छा दिवस मनाने की बात कर इसका प्रचार भी करते हैं. युवाओं का कहना है कि वैलेंटाइन डे को पूरी तरह से नकारना गलत है, क्योंकि इस बहाने अपने दिल की बात को बताने का सुनहरा मौका मिल जाता है.

 

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