मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता उमा भारती इन दिनों अपनी तीन दिवसीय भावनात्मक 'मातृभूमि यात्रा' पर हैं. यह यात्रा 30 नवंबर को उनकी मां की जन्मभूमि टीकमगढ़ जिले के गरौली ग्राम से शुरू हुई थी और इसका समापन उनके ननिहाल गांव डूंडा में होगा, जहां उनकी मां ब्याहकर आई थीं. उमा भारती ने कहा कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे भावनात्मक यात्रा है जो उन्हें मानो 'दोबारा जन्म' दे रही है.

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उमा भारती ने स्पष्ट कहा कि यह यात्रा पूर्णत: अराजनैतिक है. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य राजनीति नहीं, बल्कि अपनी मां की स्मृतियों को नमन करना है. यात्रा वाहन से की जा रही है, लेकिन जब भी कोई गांव आता है, वह लोगों से मिलने के लिए वाहन से उतरकर कुछ दूरी पैदल चलती हैं. उमा भारती का कहना है कि इस यात्रा के दौरान उन्हें गांवों की असल स्थिति करीब से देखने का अवसर मिला है.

भ्रष्टाचार और सुविधाओं की असमानता ने लोगों के भीतर भर दी आग

उमा भारती ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस यात्रा ने उन्हें यह समझाया है कि ग्रामीणों में भारी भ्रष्टाचार, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में असमानता और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर तीव्र आक्रोश है. उन्होंने कहा कि भारी भ्रष्टाचार और सुविधाओं की असमानता ने लोगों के अंदर आग जला दी है. उनके इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि लंबे समय से भाजपा का ही शासन प्रदेश में है और वे स्वयं पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं.

भोपाल लौटकर CM मोहन यादव से करेंगी बात

उमा भारती ने कहा कि वे इस यात्रा के अनुभव और जनता की पीड़ा को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीधे मुलाकात करेंगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की समस्याएं उन्हें गहराई से विचलित करती हैं और वे चाहती हैं कि सरकार इस दिशा में गंभीर कदम उठाए. उमा भारती ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव जनभावनाओं को समझते हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी बातें सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता पर लेगी.

भावनाओं से जुड़ी यात्रा, लेकिन राजनीतिक संदेश भी साफ

यात्रा भले ही भावनात्मक बताई जा रही हो, लेकिन इसमें छिपा राजनीतिक संदेश भी साफ है कि जमीनी स्तर पर जनता में असंतोष है और सरकार को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए. उमा भारती का यह बयान बीजेपी सरकार के लिए संकेत है कि जनसुविधाओं की कमी और भ्रष्टाचार को लेकर अब प्रदेश की जनता खुलकर सवाल उठा रही है.

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