Mahakaleshwar Temple Ujjain: मध्य प्रदेश के धार्मिक नगरी उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर है. भगवान महाकाल के दरबार की परंपराओं में मौसम को देखते हुए बदलाव किया जाता है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही भगवान महाकाल की दिनचर्या बदल जाती है. दो महीनों तक भगवान महाकाल को पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाता है. भस्म आरती के बाद से संध्याकालीन आरती तक सिलसिला चलते रहता है.


मौसम को देखते हुए इस मंदिर की बदलती है परंपरा


11 मटकियों से जल को लगातार प्रवाहित कर भगवान महाकाल की गर्मी दूर की जाती है. भगवान महाकाल के दरबार की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. महाकाल मंदिर में भस्म आरती के मुख्य पुजारी संजय गुरु ने बताया कि ग्रीष्मकालीन ऋतु में ज्येष्ठ मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर वैशाख माह की पुर्णिमा तक भगवान महाकाल को सहस्र धाराओं से जल का अभिषेक किया जाता है. उन्होंने कहा कि भगवान महाकाल के दरबार की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है.




गर्मी में 11 मटकियों से जल किया जाता है प्रवाहित 


पंडित और पुरोहितों ने बताया कि गंगा, शिप्रा, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों का जल मंत्रोच्चार के साथ भगवान महाकाल पर अर्पित किया जाता है. अर्पित गुरु ने बताया कि मंगलवार सुबह महाकालेश्वर मंदिर में पंडित और पुरोहितों ने पूजा अर्चना कर सभी नदियों का जल भरा. मटकियों को जल भरने के बाद भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर लगा दिया गया.




मटकियों के माध्यम से भगवान शिव पर सतत जल अर्पित होता रहेगा. मंदिर में मुख्य जलधारी भी भगवान महाकाल की गर्मी दूरने करने का काम करता है. बता दें कि ठंड के महीनों में भगवान महाकाल को गर्म पानी से स्नान कराने की परंपरा है. भगवान महाकाल को मौसम के अनुसार जल अर्पित किया जाता है. 


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