Mahakal Bhasma Aarti Darshan Rules: प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान हुई आगजनी की घटना ने इस सवाल को भी जन्म दे दिया है कि भस्म आरती के दौरान नियम अनुसार पात्र लोग ही गर्भगृह में मौजूद रहते हैं या फिर नियमों की अनदेखी होती है? महाकालेश्वर मंदिर समिति भी इस प्रश्न को लेकर मंथन करने में जुट गई है. 


उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः कालीन भस्म आरती की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. भस्म आरती के इतिहास में पहली बार आग लगने की घटना हुई है. ऐसी घटना दोबारा घटित ना हो, इसे लेकर विशेष रूप से कदम उठाए जा रहे हैं. 


मुख्य पुजारी के साथ रहते हैं तीन और पुजारी


भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहने को लेकर भी नियम बना हुआ है. इस नियम का पालन सभी को करना होता है. महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि जिस पुजारी की भस्म आरती होती है, वह अपने साथ तीन अन्य पुजारी‌ को रखता है. 


इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर समिति के दो कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं. कुछ सेवक भी पिछले कई साल से लगातार भस्म आरती में आकर सेवा दे रहे हैं. वे भी गर्भगृह में मौजूद रहते हैं. उन्होंने बताया कि संख्या के मान से लगभग 17 लोग भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहते हैं. होली पर हुए हादसे के बाद अब मंदिर समिति गर्भगृह में मौजूद रहने वाले लोगों को लेकर भी स्कूटनी कर रही है.


यह है भस्म आरती की परंपरा
महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले अल सुबह भगवान महाकाल के दरबार के पट खोले जाते हैं, जिसके बाद भगवान को जल, दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से स्नान कराया जाता है.


इसके पश्चात मंदिर के पंडित और पुरोहित भगवान का भांग, सूखे मेवे, अभीर गुलाल आदि से शृंगार करते हैं. शृंगार होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के गादीपति महंत द्वारा भस्म चढ़ाई जाती है. भस्म स्नान होते ही धूप, घी और कपूर की अलग-अलग आरती होती है. 


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