Sidhi-Singrauli NH 39: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सीधी-सिंगरौली एनएच 39 पर अगर आप सफर कर रहे हैं, तो जरा सावधान हो जाइए! क्योंकि आगे देवसर (Devsar) के सजहर में रास्ता खतरनाक है. सिंगरौली (Singrauli) डीएम राजीव रंजन मीणा (Rajeev Ranjan Meena) ने इस रास्ते पर यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसकी वजह भी सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. पिछले 18 सालों से सीधी-सिंगरौली एनएच 39 सड़क का निर्माण कर चल रहा है. 108 किलोमीटर की यह सड़क 18 सालों में भी नहीं बन पाई, जो आधी अधूरी बनी भी वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. बीते 8 सितंबर को देवसर के सजहर में एनएच 39 सड़क 200 फीट नीचे धंस गई. इसकी वजह से घंटों आवागमन बाधित रहा.


ऐसे में लोग 50 किलोमीटर दूर से दूसरे रास्ते से अपने गंतव्य की ओर पहुंच रहे हैं. वहीं अब सिंगरौली के डीएम ने इस मार्ग पर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया है. सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है. दरअसल साल 2018 में ठेका कंपनी गैमन इंडिया द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी नई कंपनी तिरुपति बिल्डकॉन ने ले लिया, लेकिन यह कंपनी भी काम में लापरवाही बरत रही है. इसकी लापरवाही का नतीजा यह है कि बीते दिन हाईवे बिन बरसात के ही 200 फीट से ज्यादा नीचे धंस गई. हालांकि, गनीमत यह रही कि इस हादसे में कोई चपेट में नहीं आया. हादसे के बाद जिलाधिकारी ने सड़क पर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया. वहीं आवागमन के लिए एक दूसरे वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है.


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तिरुपति बिल्डकॉन ने 331.16 करोड़ में लिया है ठेका


बताया जा रहा है कि हाईवे के काम को पूरा करने के लिए नई कंपनी तिरुपति बिल्डकॉन ने 331.16 करोड़ में ठेका लिया है. काम पूरा करने की डेडलाइन अप्रैल 2023 निर्धारित की गई है. कंपनी ने एक साल पहले से काम शुरू किया है लेकिन अभी तक एक तिहाई काम भी पूरा नहीं हुआ है और और जो हुआ भी है, वह खतरनाक जोन में पहुंच गया. सिंगरौली के डीएम राजीव रंजन मीणा ने बताया कि हाईवे पर सजहर के जंगल में सड़क घंस गई है. सुरक्षा के मद्देनजर आवागमन प्रतिबंधित कर विकल्प के तौर पर दूसरी व्यवस्था बनाई है. ठेका कंपनी को तेजी के साथ कार्य करने का निर्देश दिया गया है. उम्मीद है कि निर्धारित अवधि में हाईवे तैयार हो जाएगा.


मरम्मत के नाम पर बहा दिए 16 करोड़


हाईवे के निर्माण के दौरान आवागमन में कोई समस्या न हो, इसके लिए प्रशासन ने सड़कों को दुरुस्त कराने का निर्णय लिया. पिछले साल 16 करोड़ रुपये की लागत से सड़कों की मरम्मत का कार्य कराया गया, लेकिन मरम्मत का कार्य करने वाली ठेका कंपनी ने केवल खानापूर्ति की. यही वजह रही कि इस बारिश में सड़क धंस गई और प्रशासन को दो दिन पहले आवागमन प्रतिबंधित करना पड़ा. 


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