One Nation One Election: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि ये एकदम से संभव नहीं है. नीमच में प्रेस वार्ता के दौरान कमलनाथ ने कहा कि, 'ये आसान काम नहीं है, ये एकदम संभव भी नहीं है. सारी विधानसभा से पारित करवाना पड़ेगा. जिसमें बीजेपी शासित राज्य तो कर देंगे मगर दूसरे राज्यों में आसान नहीं होगा. वैसे देश में सब कुछ एक साथ हो तो ये अच्छा भी है.'


सरकार की दलील


इस फैसले की जानकारी होते ही बीजेपी के कई नेताओं ने इसे देश के बेहतर भविष्य के लिए उठाया जाने वाला सही फैसला बताया है. वहीं इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर केंद्र की दलील है कि लॉ कमीशन ने रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में बार-बार चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने के पैसे और संसाधनों की जरूरत से अधिक बर्बादी होती है. संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव करना संभव नहीं है इसलिए हमने कुछ जरूरी संवैधानिक संशोधन करने के सुझाव दिए हैं. वहीं आयोग ने सुनिश्चित किया है कि संविधान में आमूलचूल संशोधन की जरूरत है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए.


क्या है एक देश, एक चुनाव?


बता दें कि इस विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव, समान नागरिक संहिता और महिलाओं के आरक्षण के मुद्दों पर विधेयक पेश करने की संभावना है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विशेष सत्र को लेकर कहा, अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है." एक देश एक चुनाव के तहत लोकसभा चुनाव और अलग-अलग राज्यों की विधानसभा चुनावों को एक ही समय पर कराया जाएगा. पहले भी कई दफा इस कानून को लाने पर विचार किया गया है. इस बारे में विधि आयोग से अध्ययन भी किया है. आपको बता दें कि इससे पहले देश में 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए गए थे.



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