MP News: रैंक बैंक के संस्थापक नरेंद्र सेन (Narendra Sen) का कहना है कि 15 साल बाद हमारे घरों में रोबोट काम करने लगेगा और आम नागरिक का जीवन 200 साल का हो जाएगा. दुनिया का सबसे तेज सुपर फास्ट कंप्यूटर अगले 5 साल में भारत में बन जाएगा. सेन शुक्रवार को जाल सभा में अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 62वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला ‘डिजिटल इकोनामी में भारत का योगदान और अवसर’ विषय पर संबोधित कर रहे थे.


बनाया देश का पहला डाटा सेंटर


नरेंद्र सेन ने कहा  "भारत के बारे में लोग कहते थे कि डाटा सेंटर के लिए भारत ठीक जगह नहीं है. यह बात उस स्थान से लिखी गई थी, जहां से 200 गुना ज्यादा आबादी हमारे देश की है. उस समय हम अमेरिका के डाटा सेंटर से अपना काम करते थे. इसके बाद मैंने खुद ही अपने मित्र के घर में डाटा सेंटर खोला. यह डाटा सेंटर ऐसा होना चाहिए जो कि 24 घंटे सातों दिन काम करें . ये कभी भी यह बंद नहीं होना चाहिए, जहां पर हमने डाटा सेंटर खोला था. वहां पर डीपी उड़ जाने से 2 दिन तक सेंटर बंद रहा."


उन्होंने कहा कि हमारे पास जितने ग्राहक आए थे उसमें से आधे भाग गए. इसके बाद हमने डाटा सेंटर का मॉडल समझा. अब समस्या यह थी कि जहां पर जमीन थी, वहां बिजली नहीं थी. जहां जमीन और बिजली थी, वहां इंटरनेट नहीं था. जहां यह सब कुछ था, वहां पर कीमत बहुत ज्यादा थी. ऐसे में एक डाटा सेंटर बनाने के लिए कम से कम 25 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ रही थी. हमने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष प्रेजेंटेशन देकर प्रदेश में डाटा सेंटर बनाने के लिए आवाज उठाई और उसी के बाद में हमारा डाटा सेंटर बना सका.


जिसके पास डाटा है वह सुपर पावर है


अपनी बात रखते हुए नरेंद्र सेन ने कहा "हमारे देश की 70 फीसदी आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है. यह आबादी हर दिन कम से कम 3 से 4 घंटे इंटरनेट पर बिता रही है. अमेरिका की किसी भी तकनीकी कंपनी के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है क्योंकि चीन ने बाहर की कंपनियों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं. दूसरे देशों से आने वाली कंपनियों के कैपिटल से हमारी जीडीपी बढ़ेगी और रोजगार भी मिलेगा. इस समय यह स्थिति है कि जिसके पास डाटा है वह सुपर पावर बनता है. हम अक्सर सुनते हैं कि बैंक की लिंक फेल हो गया. या किसी पोर्टल का सर्वर डाउन है, तो वह सभी डाटा सेंटर के कारण ही होता है."


अवसर और चुनौती दोनों है एआई


उन्होंने कहा कि  इस समय सरकार द्वारा डाटा प्रोटेक्शन एक्ट भी लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह समय डिजिटल इकोनॉमी का है. दुनिया में कहीं भी बैठकर किसी भी खाते से पैसा निकाला जा सकता है. यदि हम नई तकनीक को नहीं अपनाएंगे तो 10 से 20 साल पीछे हो जाएंगे. डिजिटलाइजेशन के अपने खतरे हैं, तो फायदे भी हैं. जरूरत सतर्कता बरतने की है. नरेंद्र सेन ने कहा कि इस समय सबसे ज्यादा चर्चा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हो रही है. यह आशंका जताई जा रही है कि इसके कारण दुनिया का रोजगार चला जाएगा. पिछले 20 सालों में दुनिया में जितना डाटा नहीं बना उससे ज्यादा डाटा एआई के माध्यम से पिछले 5 साल में बनकर तैयार हो गया है.  यह एक मशीन लर्निंग तकनीक है. वर्ष 2020 के बाद हम नए तकनीकी युग में जा रहे हैं.


उन्होंने कहा  "इस युग में मशीन और तकनीक आपस में बात कर रहे हैं. चैट जीपीटी व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाने का काम करती है. उसमें निरंतर अध्ययन प्रक्रिया रहेगी. कोरोना संक्रमण काल ने यह सिखा दिया है कि हम ऑनलाइन मीटिंग ले सकते हैं. इस समय भारत के लोग पूरी दुनिया को डिजिटलाइज कर रहे हैं.  पहले भारत बीपीओ में नंबर 1 था, अब इस स्थान पर फिलीपींस आ गया है. हमें देश को आगे बढ़ाना है. इस समय हमारे देश की अर्थव्यवस्था 3.5 मिलियन डॉलर की है. यदि हमारे देश का हर राज्य एक मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का काम कर लें, तो हम अमेरिका से आगे निकल सकते हैं."


एआई के जरिए मानव जीवन 200 साल का हो जाएगा


उन्होंने कहा कि कोविड-19 के समय हर देश ने इसकी दवा तैयार कर ली जबकि शुगर की दवा आज तक नहीं बन सकी. भारत का तकनीकी टैलेंट पूरी दुनिया को ज्ञान देने में लगा है. हमें सोचना होगा कि हम अमेरिका की तरह एप्लीकेशन क्यों नहीं बनाते हैं? हमारे देश में 85 करोड़ लोग ऑनलाइन हैं. इसके बाद भी हम जीमेल और गूगल का अल्टरनेट क्यों नहीं बना पाए ? आने वाले 15 साल में हम लोगों के घर में रोबोट काम करने लगेगा. एआई के माध्यम से मानव जीवन 200 साल का हो जाएगा.


यह तो अब इतना आगे निकल गया है कि यदि हम भाषण दे रहे हैं तो वह बता देगा कि भाषण कितने लोगों ने सुना, उसमें से कितने को समझ में आया और कितने लोग भाषण के दौरान सो रहे थे. सेन ने कहा कि दुनिया का सबसे तेज चलने वाला सुपर कंप्यूटर अगले 3 से 5 साल में भारत में बन जाएगा. इसको बनाने में इस समय 4000 करोड़ रुपए लगने की उम्मीद है. हमारे देश में हर दिन रूस और चीन से 200 साइबर अटैक हो रहे हैं. हमें अपने बच्चों को किताबी ज्ञान से रियल लाइफ में लाना होगा.


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