MP High Court on Reservation: मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का मसला एक बार फिर अटक गया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले पर चल रही अनेक याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है. दरअसल, मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले पर हाईकोर्ट में करीब 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं. इन याचिकाओं पर लंबे समय से सुनवाई चल रही है. 6 दिसंबर से हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू कर दी थी.

हाईकोर्ट ने अनिश्चित काल के लिए टाली सुनवाईमध्य प्रदेश हाईकोर्ट जब 16 दिसंबर को ओबीसी आरक्षण मामले पर अंतिम सुनवाई के लिए याचिका लगी थी तो पक्षकारों की ओर से कोई अधिवक्ता हाजिर नहीं हुआ. इसके बाद हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले पर दायर की गई सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की तारीख अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी. ओबीसी आरक्षण मामले पर ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन और सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह का कहना है हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के मामला महत्वपूर्ण होने के बावजूद सरकार के अधिवक्ताओं का रवैया लापरवाह बना हुआ है. यही बजह है की मामले पर सुनवाई टल गई है.

10 से 15 साल पुराने है मामलेअधिवक्ता ने बताया की अभी हाई कोर्ट में जिन मामलों पर अंतिम सुनवाई चल रही है वो 10 से 15 साल पुराने हैं. लिहाजा अगर आरक्षण मामले पर सरकार की ओर से जल्द अंतिम सुनवाई के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया तो मध्य प्रदेश का इतना महत्वपूर्ण मामला सालों के लिए लंबित रह जाएगा. इसका सीधा असर मध्य प्रदेश के युवाओं पर पड़ेगा क्योंकि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण हाईकोर्ट में लंबित होने की वजह से कई सरकारी नौकरियां अटकी हुई हैं.

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