Damoh Mission Hospital Death Case: मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी डॉक्टर द्वारा की गई हार्ट सर्जरी और उससे जुड़ी सात मौतों के मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की भी एंट्री हो चुकी है. बुधवार को दमोह पहुंचे आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने जिला प्रशासन और खास तौर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कानूनगो ने बताया कि इस संवेदनशील मामले की आयोग द्वारा विस्तृत जांच कराई गई है, जिसकी रिपोर्ट आयोग के पास पहुंच चुकी है और जल्द ही उसे सार्वजनिक किया जाएगा. फिलहाल जो तथ्य सामने आए हैं, उनमें CMHO डॉ. मुकेश जैन की लापरवाही स्पष्ट रूप से उजागर हो रही है.
'जांच को जानबूझकर धीमा किया गया'उन्होंने कहा कि, "ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल के मालिक अजय लाल को बचाने के लिए जांच को जानबूझकर धीमा किया गया, समय गंवाया गया. ये एक तरह की नादिरशाही है."
'फर्जी डॉक्टर, फर्जी इलाज'प्रियंक कानूनगो ने कहा कि जब डॉक्टर फर्जी था, तो उसकी ओर से किया गया इलाज भी फर्जी ही माना जाएगा. उन्होंने चिंता जताई कि गलत इलाज के चलते और भी कई मरीज गंभीर हालत में हो सकते हैं.
'धर्म की आड़ में अपराध बर्दाश्त नहीं'कानूनगो ने इस मामले में धर्म को लेकर भी साफ टिप्पणी करते हुए कहा: "अपराध को धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. लेकिन यदि कोई व्यक्ति धर्म की आड़ में अपराध करता है, तो उसे पादरी या धर्मगुरु नहीं बल्कि अपराधी समझा जाना चाहिए."
मिशन अस्पताल का लाइसेंस पहले ही निलंबितगौरतलब है कि इससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने मिशन अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है और निर्देश दिए हैं कि तीन दिन में अस्पताल को बंद किया जाए. अस्पताल में भर्ती मरीजों को या तो डिस्चार्ज किया जाए या गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल में शिफ्ट किया जाए.
पीड़ित परिवारों को न्याय की आसराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप से इस मामले को नया मोड़ मिला है और अब पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ जल्द और सख्त कार्रवाई होगी.
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