MP News: देश में पिछले पांच सालों के दौरान रेलगाड़ियों में महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनाधिकृत रूप से यात्रा करने के लिए तीन लाख से ज्यादा पुरुषों को गिरफ्तार किया गया. नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने शुक्रवार (9 फरवरी) को मीडिया को बताया कि रेलवे बोर्ड ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में यह जानकारी मुहैया करायी है.


आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, साल 2019 में 1,13,501, 2020 में 23,361, 2021 में 25,026, 2022 में 63,741 और 2023 में 77,985 पुरुषों को रेलगाड़ियों के महिला कोच में अनाधिकृत रूप से यात्रा करते हुए पकड़े गए. इस मामले में रेलवे अधिनियम की धारा 162 (महिलाओं के लिए आरक्षित किसी सवारी डिब्बे या अन्य स्थान में प्रवेश करना) के तहत गिरफ्तार किया गया. जानकारी के मुताबिक, बीते पांच सालों के दौरान पश्चिम रेलवे में सर्वाधिक 63,542 आरोपियों को इस कानूनी प्रावधान के तहत गिरफ्तार किया गया.


इसका आरटीआई में नहीं मिला जवाब
आरटीआई कानून के तहत प्राप्त जवाब के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनाधिकृत यात्रा के मामले में आरोपियों के खिलाफ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) कार्रवाई करता है. गौड़ ने अपने आरटीआई आवेदन में रेलवे बोर्ड से यह भी जानना चाहा था कि पिछले पांच सालों के दौरान रेलगाड़ियों में महिलाओं के खिलाफ कितने अपराध दर्ज किए गए, जिसके जवाब में रेलवे बोर्ड ने संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' को राज्य का विषय बताकर जानकारी मुहैया नहीं करायी.


रेलवे अपराधों में कौन करता है कार्रवाई?
आरटीआई जवाब में बताया गया कि रेलगाड़ियों में होने वाले अपराधों को लेकर राज्य सरकार की शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) या स्थानीय पुलिस द्वारा मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध भी शामिल हैं.


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