देशभर के शहरों में स्वच्छ हवा की दिशा में की गई मेहनत का असर दिख रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार (9 सितंबर) को पुरस्कार समारोह में बताया कि 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर फिर से पहले स्थान पर रहा. इंदौर के बाद जबलपुर (मध्य प्रदेश) दूसरे नंबर पर और आगरा (उत्तर प्रदेश) व सूरत (गुजरात) संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर रहे.
मंत्री ने कहा कि ये बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इनमें से कई शहर औद्योगिक केंद्र हैं और यहां प्रदूषण पर काबू पाना आसान नहीं होता.
अमरावती और देवास ने मारी बाजी
अगर 3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों की बात करें तो महाराष्ट्र का अमरावती पहले स्थान पर रहा. झांसी और मुरादाबाद (दोनों उत्तर प्रदेश) संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर और अलवर (राजस्थान) तीसरे नंबर पर रहे.
वहीं, छोटे शहरों (3 लाख से कम आबादी) में मध्य प्रदेश का देवास सबसे आगे रहा. इसके बाद परवाणू (हिमाचल प्रदेश) और अंगुल (ओडिशा) का नाम शामिल हुआ. खास बात यह रही कि अंगुल कोयला खदानों के लिए मशहूर है, इसके बावजूद शहर ने वायु गुणवत्ता के मानकों को बनाए रखा.
कार्यक्रम के दौरान मंत्री भूपेंद्र यादव ने इंदौर और उदयपुर को भी सम्मानित किया. दोनों शहरों को अंतरराष्ट्रीय ‘वेटलैंड सिटी’ का दर्जा मिला है. उन्होंने बताया कि 2014 में भारत में सिर्फ 25 रामसर स्थल (अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स) थे, जबकि 2025 तक ये संख्या बढ़कर 91 हो गई है.
मंत्री ने झीलों और वेटलैंड्स की अहमियत समझाते हुए कहा, “अगर जंगल हमारे फेफड़े हैं तो झीलें हमारी किडनी का काम करती हैं.”
भूपेंद्र यादव ने शहरों से इंदौर की तरह कदम उठाने की अपील की. उन्होंने कहा, “अगर आपके शहर की हवा खराब है, तो वही हवा आपके फेफड़ों में जाएगी. अपने शहर को बचाने के लिए हर नागरिक को आगे आना होगा.”
इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि सिर्फ सरकार या एजेंसी के भरोसे नहीं बैठा जा सकता, लोगों को खुद भी रीसाइक्लिंग, दोबारा उपयोग (Reuse) और परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को अपनाना होगा.
75 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य
मंत्री ने बताया कि आने वाले दिनों में देशभर में हरियाली बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा. 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच 75 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
पर्यावरण सचिव तनमय कुमार ने कार्यक्रम में बताया कि एनसीएपी (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम) के तहत शामिल 130 शहरों में से 64 शहरों ने 2017-18 की तुलना में पीएम10 स्तर में 20% या उससे ज्यादा कमी हासिल की है. वहीं 25 शहरों ने 40% या उससे अधिक की कमी दर्ज की है.
क्या है एनसीएपी?
2019 में शुरू हुआ एनसीएपी देश की पहली बड़ी पहल है, जिसमें वायु प्रदूषण पर सीधे लक्ष्य तय किए गए. इस योजना का मकसद है कि 2017-18 को आधार मानकर 2026 तक कण प्रदूषण (Particulate Matter) में 40% तक की कटौती की जाए.