Panchkroshi Yatra: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा (Panchkroshi Yatra) 25 अप्रैल से शुरू होकर पांच दिनों तक चलेगी. 118 किलोमीटर दूरी तय करते हुए पंचक्रोशी यात्रा का समापन 29 अप्रैल को होगा. कोरोना काल के दौरान 2 साल तक यात्रा नहीं निकल पाई थी. पंचक्रोशी यात्रा को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है. 118 किलोमीटर तक निकलनेवाली पंचक्रोशी यात्रा में कुल सात पड़ाव और उप पड़ाव आते हैं.
पड़ावों और उप पड़ावों के बीच कम से कम छह से 23 किलोमीटर तक की दूरी होती है. नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव के बीच 12 किलोमीटर, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव के बीच 23 किलोमीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया तक छह किलोमीटर, अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल तक सात किलोमीटर, दुर्देश्वर से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा तक 16 किलोमीटर और उंडासा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेत मैदान उज्जैन तक 12 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है. पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार यात्रा शिप्रा नदी में स्नान और नागचंद्रेश्वर की पूजा के साथ वैशाख कृष्ण दशमी से शुरू होती है.
वैशाख की तपती दोपहर में आस्था की डगर
वैशाख (Vaishakh) की तपती दोपहर में हजारों श्रद्धालु आस्था की डगर पर यात्रा करते हैं. यात्रा के कुछ प़ड़ाव शिप्रा के किनारे हैं. पंचक्रोशी यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु यात्रा शुरू होने के एक दिन पहले नगर में आकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर विश्राम करते हैं. सुबह शिप्रा स्नान कर पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंच भगवान नागचंद्रेश्वर को श्रीफल अर्पित कर बल प्राप्त करते हैं. इसके बाद यात्रा की शुरुआत होती है. पंचक्रोशी यात्रा में पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, बिलकेश्वर, कालियादेह महल, दुर्देश्वर और उंडासा समेत कुल पांच पड़ाव और दो उपपड़ाव आते हैं. नगर प्रवेश के पश्चात रात्रि में यात्री नगर सीमा स्थित अष्टतीर्थ की यात्रा कर तड़के शिप्रा स्नान करते हैं.
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यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था का निर्देश
यात्रा का समापन भगवान नागचंद्रेश्वर को बल लौटाकर होता है. इसके लिए यात्री बल के प्रतीक मिट्टी के घोड़े भगवान को अर्पित करते हैं. पंचक्रोशी यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों, उपपड़ावों पर यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. कलेक्टर आशीष सिंह ने जिला पंचायत और विभिन्न संबंधित विभागों को निर्देश दिया है. टेन्ट, प्रकाश व्यवस्था, शामियाने, भोजन, पेयजल, सफाई, दूध, चिकित्सा, एम्बुलेंस, अग्निशमन, शौचालय, फव्वारे की व्यवस्था करने को कहा गया है. यात्रा मार्ग पर मधुमक्खियों के छत्ते हटाये जा रहे हैं. चिकित्सा विभाग प्रत्येक पड़ाव पर यात्रियों को दवाइयों के साथ-साथ पैरों में लगाने के लिये मलहम की व्यवस्था करता है. प्रत्येक पड़ाव स्थल पर अस्थाई अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान, कंडे की व्यवस्था पर्याप्त रूप से की जा रही है.
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