Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain) के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय शर्मा (Dr. Sanjay Sharma) ने बारिश के दिनों (Rainy Days) में होने वाली बीमारियों (Diseases) से बचने की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि वर्षा ऋतु (Rainy Season) में मुख्य रूप से दूषित जल (Contaminated Water) के इस्तेमाल के कारण ही बीमारियां प्रमुख रूप से देखी जाती हैं.

उन्होंने बताया कि दूषित जल के सेवन से टाइफाइड (Typhoid), पीलिया (Jaundice), डायरिया (Diarrhea), पेचिश (Dysentery) और (Cholera) जैसी बीमारियां भी फैलती हैं. इसलिए भोजन बनाने में और पेयजल (Drinking Water) के रूप में शुद्ध उबला हुआ जल (Boiled Water) का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ भी खाने के पहले साबुन (Soap) से हाथ जरूर धोने चाहिए. 

पेयजल की कमी से होते हैं ये रोग

स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से सबसे अधिक यानी लगभग 80 प्रतिशत मौतें होती हैं. विकासशील देशों में शुद्ध पेयजल की कमी एक आम समस्या है. बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है. पानी से फैलने वाली बीमारियों में मोटे तौर पर दस्त और आंखों के रोग और मच्छरों एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित हैं.

डॉक्टर संजय शर्मा ने बताया कि दूषित पानी के कारण अक्सर दस्त रोग फैलता है. मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है. यह रोग इसलिए भी गंभीर है क्योंकि शरीर में से पानी निकल जाने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है. 

डॉक्टर संजय शर्मा के मुताबिक, दस्त रोग की रोकथाम हेतु अक्सर शुद्ध पेयजल और शुद्ध भोजन का उपयोग करें. घर के आसपास साफ सफाई रखें, दस्त लग जाने पर ओआरएस और जिंक सल्फेट गोली का उपयोग चिकित्सक की सलाह के अनुसार करें. खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखें, मक्खियों से बचाव करें, हरी सब्जियां और फल साफ पानी से धोकर उपयोग करें.

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आंखों का रोग

डॉक्टर संजय शर्मा ने बताया कि मानसून के दौरान बहुत से लोगों को आंखों के रोग हो जाते हैं, जैसे कि आंखों में खुजली होना, आखें लाल हो जाना. आंखें चिपचिपी हो जाती हैं, सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है, इस रोग को आई फ्लू, कंजक्टिवाइटिस या आंख आना के रूप में जाना जाता है. कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है. इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे, रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल और टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है, कम्प्युटर का की बोर्ड भी इसे फैलाने में सहायक साबित होता है. 

सीएमएचओ डॉ शर्मा के मुताबिक आंखे आने पर बार-बार अपने हाथ और चेहरे को ठंडे पानी से धोएं, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तौलिये और रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाथ न लगाएं, धूप के चश्मे का प्रयोग करें और चिकित्सक को दिखाएं.

मलेरिया और डेंगू रोग

डॉक्टर शर्मा ने बताया कि बरसात में मलेरिया और डेंगू भी फैलता है. इसमें मरीज को ठंड लगकर बुखार आता है. अक्सर बरसात के दिनों में खेत, तालाब, गड्ढे, खाई, घर के आसपास रखे हुए टूटे-फूटे डिब्बों, पुराने टायर, पशु के पानी पीने का हौद आदि में पानी जमा हो जाता है. इस प्रकार के भरे हुए पानी में अक्सर मच्छर के लार्वा पैदा होते हैं, जो बाद में मच्छर बनकर रोग फैलाते हैं. 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शर्मा के अनुसार मलेरिया से बचाव के लिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें, रुके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ आयल डालें. कूलर, फूलदान, फ्रिज ट्रे आदि को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें. सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें. कीटनाशक का छिड़काव करवाएं, मलेरिया रोग हो जाने पर खून की जांच अवश्य कराएं और चिकित्सक की सलाह से पूरा उपचार कराएं.

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