Jabalpur News: मध्यप्रदेश के गृह सचिव डॉ राजेश राजौरा और होमगार्ड के डीजी पवन जैन पर जल्द ही अदालत की अवमानना की कार्यवाई हो सकती है. सरकार द्वारा अभिवचन देने के बावजूद, होमगार्ड सैनिकों को साल भर काम ना देने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों पर सख्ती दिखाई है.यहां बता दें कि यह मामला राज्य के तकरीबन 16 हजार 500 होम गार्ड जवानों से जुड़ा है.


2 मार्च की तारीख हुई है निर्धारित
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस एम एस भट्टी ने गृह सचिव राजेश राजौरा और होमगार्ड डीजी पवन जैन पर न्यायालय की अवमानना के आरोप तय करने के लिए 2 मार्च की तारीख निर्धारित की है. दरअसल हाईकोर्ट ने पूर्व में प्रदेश के होमगार्ड्स को पुलिस जवानों की तरह वेतन और साल भर ड्यूटी पर रखने का फैसला सुनाया था,जिसका पालन अब तक नहीं किया गया.मामले पर पहले से दायर अवमानना याचिका में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने होमगार्ड जवानों को कॉल ऑफ करने यानि साल में दो माह नौकरी न करवाने का नियम खत्म करने की अंडरटेकिंग कोर्ट में दी थी.


इसके बावजूद प्रदेश में होम गार्ड्स के लिए कॉल ऑफ प्रणाली जारी है.इस पर एक बार फिर से हाईकोर्ट में होम गार्ड्स सैनिकों की ओर से कई अवमानना याचिकाएं दायर की गईं हैं जिसमें गृह सचिव और होमगार्ड डीजी सहित हाई कोर्ट के आदेश की नाफरमानी करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाई की मांग की गई है.


हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया मामला
फिलहाल हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया है कि अगर 2 मार्च तक होमगार्ड जवानों को पुलिस जवानों की तरह वेतन और ड्यूटी देने के आदेश का पालन नहीं किया जाता तो 2 मार्च को दोनों ही आला अधिकारियों यानि गृह सचिव राजेश राजौरा और होमगार्ड डीजी पवन जैन सहित अन्य दोषी अधिकारियों पर अवमानना के आरोप तय कर दिए जाएंगे.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, वर्ष 2010 में होमगार्ड्स कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर कर नियमितीकरण, पुलिस आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने एवं अन्य अनुतोष की प्रार्थना की गई थी.वर्ष 2011 में हाईकोर्ट द्वारा इसे आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को आदेशित किया गया था कि वे होमगार्ड्स के सेवा नियम बनाये एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए. इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा.


इसके बाद सरकार ने वर्ष 2016 में नियम बनाये और आदेश के विपरीत पुनः वर्ष 2 माह का बाध्य कॉल ऑफ का प्रावधान रख दिया. इसे लेकर कई याचिकाएँ हाईकोर्ट में लंबित हैं.वर्ष 2020 में होमगार्ड विभाग द्वारा बाध्य कॉल ऑफ का आदेश जारी किया गया जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश पर स्टे कर दिया.जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएँ प्रस्तुत की गईं.


गौरतलब है कि कुछ माह पहले प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी घोषणा की थी कि प्रदेश के 16 हजार 500 होमगार्ड जवानों को अब एक साल की बजाय तीन साल में कॉल ऑफ किया जाएगा.कॉल ऑफ के तहत होम गार्ड जवानों को साल में दो माह को लिए अवैतनिक अवकाश पर भेज दिया जाता था.


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