एमपी सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के शहरी विकास और नगर प्रशासन को लेकर बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. भोपाल में आयोजित शहरी विकास की एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पूर्व में कई घोषणाएं राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई थीं, लेकिन अब उन घोषणाओं को जमीन पर उतारना एक बड़ी चुनौती बन गया है. मंत्री ने यह भी माना कि शहरी विकास से जुड़ी कई योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से पर्याप्त बजट की दरकार है.
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही नागरिक सुविधाओं की मांग भी लगातार बढ़ी है. ऐसे में सड़कों, जलप्रदाय, सीवरेज, आवास और ट्रैफिक जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है.
हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिए कि केवल राज्य के संसाधनों से सभी योजनाओं को समय पर पूरा कर पाना आसान नहीं है और इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है. मंत्री के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक आने वाले समय में योजनाओं की गति और बजट प्रबंधन से जोड़कर देख रहे हैं.
जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पा रही सरकार- कांग्रेस
मंत्री विजयवर्गीय के बयान के बाद विपक्ष ने सरकार पर सीधा हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बारोलिया ने कहा कि बीजेपी सरकार बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं करके सत्ता में आई थी, लेकिन अब जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पा रही है.
उन्होंने इसे “मोदी की गारंटी” पर सवाल बताते हुए कहा कि मंत्री के बयान से साफ है कि सरकार अब जनता को बुनियादी सुविधाएं देने में असमर्थ नजर आ रही है. अभिनव बारोलिया ने कहा कि चुनाव के समय किए गए दावों और हकीकत के बीच बड़ा अंतर सामने आ रहा है.
बीजेपी ने किया कांग्रेस के आरोपों को खारिज
वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजय यादव ने कहा कि कांग्रेस बेवजह राजनीति कर रही है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार में कोई भी जनकल्याणकारी योजना बंद नहीं हुई है और राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार मिलकर जनता के हित में लगातार काम कर रही हैं. अजय यादव ने कांग्रेस को अपने कार्यकाल की “बंटाधार सरकार” याद करने की नसीहत देते हुए कहा कि विकास के मुद्दे पर राजनीति करने के बजाय सकारात्मक सहयोग करना चाहिए.
कुल मिलाकर, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान ने शहरी विकास को लेकर चल रही तैयारियों, बजट की चुनौतियों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. अब देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और जनता को किए गए वादों को किस हद तक पूरा कर पाती है.