Bhopal Tourist Place: ताल तलैया और झीलों की नगरी के नाम से फेमस भोपाल देश भर के सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र है. एक बार यहां आ जाता है वह भोपाल की तारीफ किए बिना नहीं रहता. इस शहर के आठ सबसे अधिक मनोरम दृश्य हैं जो बरबस सैलानियों को अपनी और आकर्षित करते हैं. 


पौराणिक कथाओं को समेटे है भोपाल का म्यूजिय


भोपाल और इसके आसपास के आठ मनमोहक दृश्य में सबसे पहला जनजातीय संग्रहालय है. इस संग्रहालय में आदिवासी कला और संस्कृति की एक अमिट छाप देखने को मिलती है. यहां आदिवासियों के इस्तेमाल की हर छोटी बड़ी चीज मौजूद है. जनजातीय संग्रहालय की स्थापना राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स पर छह जून 2013 को की गई थी. 35 करोड़ 20 लाख रुपए की लागत से बनाया गया यह संग्रहालय दो एकड़ में बना है. इस संग्रहालय का प्रतीक चिन्ह बिरछा है. संग्रहालय में अलग-अलग छह कला दीर्घाएं बनी है, जहां जनजातीय जीवन शैली के अलग-अलग हिस्सों को चित्रों और वस्तुओं के माध्यम से दर्शाया गया है. जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश की बैगा, सहरिया, गोंड, भील, कोरकू, कोल और भारिया जनजातियों की झलकियां देखने को मिलती है.


संग्रहालय में बैगा घर, गोंड स्थापत्य, भील घर, सहरिया, आंगन, मग रोहन, गोंड घर, पत्थर का घर, कोरकू घर बने हैं. ये बताते हैं कि अलग-अलग आदिवासी समूह किस तरह के घरों में रहते हैं और उनकी दिनचर्या कैसी होती है? संग्रहालय में आदिवासी बच्चों के खेलों जैसे मछली पकड़ना, चौपड़, गिल्ली डंडा, बुड़वा, चक्ताक, गोंदरा, पोशंबा, घर-घर, पंच गुट्टा, गेड़ी, पिठ्टू, गूछू हुड़वा भी बना है. प्राचीन परम्परा को देखने के लिए देश भर के सैलानी यहां जरुर आते हैं. 


एशिया की सबसे बड़ी झील है बड़ा तालाब


भोपाल में स्थित बड़ा तालाब एशिया की सबसे बड़ी झील के रूप में पहचाना जाता है. इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था. अंग्रेजी में इस तालाब को अपर लेक कहते हैं, जबकि हिन्दी में यह बड़ा तालाब कहलाता है. भोपाल का यह बड़ा तालाब राजधानी वासियों के लिए पीने के पानी का सबसे मुख्य स्त्रोत भी है. इस झील के समीप ही कमला पार्क नाम का बहुत बड़ा गार्डन है, जो इस तालाब की शोभा और अधिक बढ़ाता है. भोपाल आने वाले सैलानी बड़ा तालाब को निहारने जरूर आते हैं. सुबह छह बजे से लेकर रात दस बजे तक यहां पर्यटकों के आने जाने का सिलसिला बना रहता है. 


वनविहार में तब्दील हुई पहाड़ी


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बड़े तालाब के पास की पहाड़ी पर वन विहार स्थित है. वह लगभग चार दशक पहले वीरान थी. साल 1981 में इस पहाड़ी के वनक्षेत्र का संरक्षण सघन रूप से शुरु हुआ और जल्द ही यह पहाड़ी हरी भरी होने लगी. 26 जनवरी 1983 को पहाड़ी और उसके आसपास के 445.21 हे. क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर वन विहार का नाम दिया गया. वन विहार में बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घडिय़ाल, कछुआ सहित विभिन्न प्रकार के सांप हैं. वन विहार प्रतिदिन बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. सुबह सात से रात तक यहां घूमने के लिए लोग आते हैं. यहां प्रति व्यक्ति फीस के रूप में 15 और विदेशी सैलानियों से 200 रुपए लिए जाते हैं. 


महल को चार चांद लगाती है जटिल नक्काशी
 
शौकत महल भोपाल शहर के इकबाल मैदान के बीचों-बीच चौक क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर स्थित है. इस महल का निर्माण सन् 1830 ई. में राज्य की प्रथम महिला शासिका नवाब कुदसिया बेगम ने कराया था. यह महल इस्लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है. यहां पश्चिमी वास्तु और इस्लामी वास्तु का नायाब संगम है. यह महल लोगों की पुरातात्विक जिज्ञासा को जीवंत कर देता है. भोपाल दर्शन को आने वाले हर पर्यटक शौकत महल जरुर जाता है. शौकत महल को देखे बिना भोपाल दर्शन अधूरा माना जाता है. 


संगमरमर से बनी है मोती मस्जिद


महिला सिकंदर जहान बेगम ने सन् 1862 में देश की सबसे दिलचस्प मस्जिद मोती मस्जिद का निर्माण कराया था. सुंदर, शुद्ध सफेद संगमरमर से मोती मस्जिद तैयार की गई है. मस्जिद की वास्तुकला दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के समान है. स्मारक के चमकदार सफेद हिस्से ने इसे पर्ल मस्जिद नाम दिया. मस्जिद में एक भव्य आंगन है जहां की खिडक़ी से भोपाल शहर के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं. इतिहास प्रेमियों के लिए मोती मस्जिद बेस्ट जगह है. इज्जिमा के दौरान देश से आने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी मोती मस्जिद जरूर आते हैं.


पांच रुपए में देखे बिड़ला संग्रहालय


भोपाल की आठ खास मनमोहक दृश्यों में बिड़ला संग्रहालय भी गजब का पर्यटन स्थल है. महज पांच रुपए की फीस में शहर के भव्य संग्रहालय के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं. सुबह दस से शाम छह बजे तक यहां पर्यटक आते हैं. यहां सिर्फ पांच रुपए फीस ली जाती है, जबकि विदेशी सैलानियों से 50 रुपए लिए जाते हैं. संग्रहालय बिड़ला मंदिर परिसर का एक हिस्सा है, जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर स्थापित है. 


30 हजार साल पुरानी है भीमबेटका


भोपाल शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी कई मनोहर दृश्य हैं. इनमें से एक भीमबेटका है. यह लगभग 30 हजार साल पुरानी है. भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है. इस स्मारक को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. माना जाता है यह स्थान महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है, इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा. भीमबेटका की गुफाओं को घूमने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. यहां भारतीयों के लिए इंट्री फीस 10 रुपए, जबकि विदेशी मेहमानों से महज 100 रुपए लिए जाते हैं. सुबह सात से शाम छह बजे तक यहां पर्यटक आते हैं. 


सम्राट अशोक के शासन में बना सांची स्तूप


भोपाल से महज 46 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्तूप स्थित है. गुंबद के आकार का यह स्मारक 120 फीट चौड़ा और 54 फीट ऊंचा है. स्तूप में प्रवेश करने के लिए यहां टिकट खरीदना पड़ता है. भारतीयों के लिए यहां 40 रुपए की टिकट है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रुपए लिए जाते हैं. जबकि 15 साल से कम उम्र के बच्चों का नि:शुल्क ही सांची स्तूप में प्रवेश दिया जाता है. राजधानी भोपाल आने वाले पर्यटक भोपाल के नजदीक इस दार्शनिक स्थल पर जरुर जाते हैं.


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