MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) की ओर से वात्सल्यपुरम संस्था की याचिका को खारिज कर दिया गया है. मामला वात्सल्यपुरम बालगृह विजयनगर से रेस्क्यू करायी गई 21 नाबालिग बालिकाओं का है. जिला प्रशासन ने बीते 12 जनवरी को एक टीम के द्वारा इन बालिकाओं को वात्सल्यपुरम नामक अनाथगृह से रेस्क्यू किया था. जांच के दौरान पाया गया कि बालगृह का जेजे एक्ट के तहत पंजीकरण नहीं हुआ था.
चार बच्चियों का लापता होना, नाबालिग बालिकाओं से मारपीट, गर्म चिमटे से जलाना, निर्वस्त्र करने और खाने न देने जैसी वारदात सामने आई थी. घटनाएं सामने आने पर संस्था के खिलाफ विजयनगर थाने में विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज किया गया था. जूनी इंदौर के एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया कि संस्था ने बालगृह की आड़ में अनाथ बच्चों का लेन-देन करती थी. इसके सबूत भी मिले हैं. संस्था ने हाईकोर्ट में शासन के खिलाफ बंदी पृत्यक्षीकरण और शासन के ऊपर बच्चियों के अपहरण का आरोप लगाया.
एमपी हाईकोर्ट ने संस्था को नहीं दी अंतरिम राहत
हाईकोर्ट ने रविवार को अवकाश होने के बावजूद डबल बैंच में इस मामले की अर्जेन्ट हीयरिंग की. हाईकोर्ट ने संस्था को कोई अंतरिम राहत नहीं देते हुए 17 जनवरी 2024 से नियमित सुनवाई का आदेश दिया. डबल बैंच में हाइकोर्ट में शासन की ओर से अंकित नायक और अर्चना खेर ने पैरवी की और मजबूती से अपना पक्ष रखा. मंगलवार (23 जनवरी) को हाईकोर्ट ने संस्था की याचिका को डिसमिस कर दिया.
कोर्ट ने बालगृह की आड़ में गरीब माता-पिता के बच्चों को लाकर उनके नाम पर डोनेशन प्राप्त करने वाली संस्थाओं पर शासन की ओर से की गई कार्रवाई को उचित ठहराया. उक्त संस्था पर कार्रवाई जूनी इंदौर के एसडीएम घनश्याम धनगर के नेतृत्व में सीडीपीओ दिनेश मिश्रा, डीपीओ ममता चौधरी और बाल कल्याण समिति की सदस्य संगीता चौधरी ने 12 जनवरी को की थी. अभी इस संबंध में जांच चल रही है.
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