MP High Court News: मध्य प्रदेश में नर्सिंग कालेज फर्जीवाड़े में राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर हाईकोर्ट सख्त होता जा रहा है.इस घोटाले से जुड़े ग्वालियर बेंच में लंबित सभी 40 मामले भी अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर में सुने जाएंगे.चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने पूरे मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.इस मामले में अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी.


क्या कहा है हाई कोर्ट ने


मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की याचिका पर सोमवार (31 जुलाई) को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार के लापरवाह रवैये के कारण पूरा मामला सीबीआई को ही सौंपने पर विचार करेंगे. सरकार की ओर से बताया गया कि पहले से ही सीबीआई नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रही है. याचिकाकर्ता ने आपत्ति लेते हुए कोर्ट को बताया कि सीबीआई सिर्फ 364 कॉलेजों की जांच ग्वालियर हाई कोर्ट के निर्देश पर कर रही है.काउंसिल ने 2020 में 670 कॉलेज खोले थे.इनमें 364 कॉलेजों के अलावा शेष कॉलेज अभी भी सीबीआई जांच के दायरे से बाहर हैं.


वहीं,प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज घोटाले में मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने आवेदन पेश कर कोर्ट को बताया कि फैकल्टी फर्जीवाड़े में 2022-23 में 19 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म की गई है. इसमें जबलपुर का सुख सागर नर्सिंग कॉलेज भी शामिल है.सरकार की ओर से बताया गया है कि जिन इंस्पेक्टर ने कॉलेजों का भौतिक सत्यापन कर गलत रिपोर्ट काउंसिल  को सौंपी थी, उन्हें नोटिस जारी किए की गए हैं. इसके साथ ही कार्रवाई के लिए कमेटी का गठन किया गया है.कोर्ट ने सरकार की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है.


क्या कहना है याचिकाकर्ता का


एमपी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष विशाल बघेल ने 2022 में इस फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए जनहित याचिका दायर की थी.सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि नर्सिंग कॉउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू का दतिया ट्रांसफर करते हुए आरोप-पत्र जारी कर दिया गया है.विभागीय जांच तीन महीने में समाप्त कर लेंगे.रजिस्ट्रार स्टेला पीटर को भी पद से हटाकर मूल पद पर भेज दिया गया है.


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