Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक दिवंगत शिक्षक को 19 साल बाद इंसाफ दिया है. याचिका लंबित रहने के दौरान चार साल पहले शिक्षक की मौत हो गई तो न्याय की लड़ाई उसकी विधवा पत्नी लड़ती रहीं. हाईकोर्ट ने आयुक्त उच्च शिक्षा को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता दिवंगत कर्मचारी की पत्नी को पांचवें और छठवें वेतनमान का लाभ देते हुए एरियर्स समेत पूर्ण राशि का भुगतान करें. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इसके लिए आयुक्त उच्च शिक्षा को 60 दिन की मोहलत दी है. इस मामले में याचिकाकर्ता शिक्षक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ने कानूनी लड़ाई जारी रखी और उसे 19 साल बाद न्याय मिला.


दरअसल,जबलपुर निवासी जगमोहन दीक्षित ने साल 2005 में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक वर्मा के मुताबिक याचिकाकर्ता एक अनुदान प्राप्त कॉलेज में क्राफ्ट टीचर के पद पर कार्यरत था. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने क्राफ्ट टीचर्स के साथ भेदभाव करते हुए उन्हें रिवाइज्ड पे-स्केल का लाभ नहीं दिया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि याचिकाकर्ता एक जनवरी 1996 से एक जनवरी 2006 तक प्रभावी उक्त वेतनमान का लाभ पाने का हकदार है. इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को कई अभ्यावेदन दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.


19 साल बाद कोर्ट ने दिया न्याय 


बता दें कि याचिका के लंबित रहते साल 2020 में याचिकाकर्ता जगमोहन दीक्षित की मृत्यु हो गई. इसके बाद उनकी पत्नी सीमा दीक्षित ने कानूनी लड़ाई जारी रखी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि वे इस ऑर्डर की कॉपी के साथ 15 दिन के भीतर आयुक्त उच्च शिक्षा को अभ्यावेदन दें. आयुक्त अभ्यावेदन पर विचार कर 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को लाभ प्रदान करें. दरअसल मध्य प्रदेश के एक शिक्षक को 19 साल बाद कोर्ट ने इंसाफ दिया है. हालांकि शिक्षक की पहले ही मौत हो चुकी है, लेकिन ये जंग उसकी पत्नी लड़ रहीं थी. अब कोर्ट ने 19 साल बाद फैसला शिक्षक की पत्नी के हक में सुनाया है.   


दरअसल मध्य प्रदेश में एक शिक्षक ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. शिक्षक जगमोहन दीक्षित ने साल 2005 में याचिका दायर की थी. हालांकि इस दौरान उसकी मौत हो गई. जिसके बाद शिक्षकी की पत्नी ने कानूनी लड़ाई जारी रखी थी. अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उसे 19 साल के बाद न्याय दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आयुक्त उच्च शिक्षा को निर्देश दिए हैं कि शिक्षक की पत्नी को पूर्ण राशि का भुगतान किया जाए. 


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