मध्य प्रदेश सरकार ग्राम पंचायत में होने वाली ग्राम सभा को मजबूती प्रदान करने की तैयारी में है. सरकार ने ग्राम पंचायत को ऐसे अधिकार देने का फैसला लिया है जिससे वह मजबूती के साथ उभरे. मध्य प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकान खोलने के लिए ग्राम पंचायत की ग्राम सभा में पहले प्रस्ताव पास होना जरूरी रहेगा. इसके बाद ही शराब ठेकेदार दुकान खोल पाएगा.


पहले बिना ग्रामसभा के ही ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोली जाती थी जिसमें किसी भी प्रकार की कोई भी एनओसी नहीं लेना पड़ती थी. लेकिन अब ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पास होने के बाद ही शराब की दुकान खोल पाएंगे. इस फैसले के बाद से शराब ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के इस फैसले को लेकर खुशी का माहौल भी दिखाई दे रहा है.


नियमों को नहीं मानने पर जुर्माना भी लगा सकता है ग्रामसभा


वहीं ग्रामसभा को यह भी अधिकार रहेगा कि वह सार्वजनिक स्थल या किसी परिसर में शराब के सेवन को प्रतिबंधित कर दे. इसका उल्लंघन करने पर अधिकतम एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा. शराब रखने की मात्रा को लेकर आबकारी नीति में जो प्रावधान हैं.उसमें कमी करने का अधिकार भी ग्रामसभा को दिया गया है. 


गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार पेसा अधिनियम के नियम में किया गया है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने राजपत्र में नियम का प्रारूप प्रकाशित कर प्रभावितों से 15 दिन में दावा-आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए कहा है.


राजपत्र में कहा गया कि यदि आबकारी विभाग को अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की कोई नई दुकान खोलनी है तो इसके लिए प्रस्ताव ग्रामसभा को देना होगा. 45 दिन के भीतर ग्रामसभा ऐसे प्रस्ताव पर विचार करेगी और यदि सर्वसम्मति से दुकान नहीं खोलने संबंधी निर्णय लिया जाता है तो फिर प्रस्तावित क्षेत्र में दुकान नहीं खुलेगी. इस तरह के प्रकरणों में विभाग कहीं और दुकान खोलने का प्रस्ताव सरकार को दे सकता है और उसी स्तर से निर्णय होगा. शराब दुकान के स्थान परिवर्तन के मामले में भी अनुमति अनिवार्य होगी.


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