MP Cabinet Meeting: मध्य प्रदेश सरकार मंगलवार (3 जून) को पचमढ़ी में एक विशेष कैबिनेट बैठक आयोजित करने जा रही है. इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) करेंगे. इस ऐतिहासिक बैठक का आयोजन राज्यपाल निवास, पचमढ़ी में किया जाएगा. इस बैठक से जुड़ी एक और अहम चर्चा मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) को लेकर है. मंत्री विजय शाह पिछले 2 कैबिनेट बैठकों से गैरहाजिर रहे हैं, जिसकी वजह उनके द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया गया विवादित बयान माना जा रहा है.
उनके बयान के बाद से न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मची, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT की जांच भी उन पर चल रही है. सूत्रों के अनुसार, बयान के बाद से विजय शाह किसी सार्वजनिक मंच पर नजर नहीं आए हैं. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वे पचमढ़ी की इस ऐतिहासिक बैठक में शामिल होते हैं या नहीं.
बात करें इस बैठक की तो ये बैठक जनजातीय समाज के वीर नायक राजा भभूत सिंह को समर्पित होगी, जिन्होंने पचमढ़ी क्षेत्र में गोंड साम्राज्य की रक्षा तथा संस्कृति के संरक्षण हेतु अपूर्व साहस और बलिदान का परिचय दिया.
जनजातीय गौरव को सम्मानराजा भभूत सिंह की वीरता और नेतृत्व को सरकार एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है. पचमढ़ी, जो मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है, राजा भभूत सिंह के शासन और रणनीतिक दृष्टिकोण का केंद्र रहा है. इस क्षेत्र की पहाड़ियों और जंगलों का उन्होंने शासन, सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए कुशलतापूर्वक उपयोग किया.
CM ने कहा, "सरकार जनजातीय नायकों को केवल स्मरण नहीं कर रही, बल्कि उन्हें सम्मान देने और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. राजा भभूत सिंह जैसे नायकों का योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है."
पचमढ़ी की विशेषतापचमढ़ी, जिसे "सतपुड़ा की रानी" कहा जाता है, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का एक प्रमुख केंद्र है. यहां स्थित धूपगढ़, राज्य की सबसे ऊंची चोटी है, जहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के विहंगम दृश्य अत्यंत प्रसिद्ध हैं. पचमढ़ी धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भगवान भोलेनाथ की नगरी के रूप में जाना जाता है.
कैबिनेट की यह बैठक प्रशासनिक दृष्टि से जितनी महत्वपूर्ण है, सांस्कृतिक और भावनात्मक दृष्टि से भी उतनी ही विशेष मानी जा रही है. बैठक के एजेंडे में स्थानीय विकास, जनजातीय क्षेत्रों के उत्थान तथा सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण से जुड़े विषय प्रमुख रहेंगे.