MP 12th 10th Board Exams: मध्य प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग कमर कस चुका है. टाइम-टेबल के अनुसार कक्षा दसवीं की परीक्षाएं पांच फरवरी से 28 फरवरी तक होनी हैं. वहीं, कक्षा 12वीं की परीक्षाएं छह फरवरी से चार मार्च तक चलेंगी. मध्य प्रदेश में इस साल के कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के दौरान एस्मा एक्ट लागू किया गया है. इस एक्ट के तहत बोर्ड परीक्षा के दौरान शिक्षकों को धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी.


स्कूल शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि दसवीं-बारहवीं परीक्षा के दौरान कोई भी शिक्षक छुट्टी नहीं ले सकेगा. परीक्षा के दौरान शिक्षकों को किसी भी तरह के आंदोलन या धरना-प्रदर्शन की भी अनुमति नहीं होगी. फरवरी 2024 में एमपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाएं शुरू होनी हैं. दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा का टाइम- टेबल माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दिंसबर 2023  में जारी कर दिया था. इस बार मध्य प्रदेश में फूल प्रूफ तैयारी के साथ परीक्षा कराए जाने का प्लान तैयार किया गया है.


20 लाख से अधिक परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पेपर लीक रोकने के लिए भी बड़ा कदम उठाया है. अब मंडल से परीक्षा केंद्र तक प्रश्न-पत्र पहुंचाने की प्रक्रिया में जो भी लोग शामिल होंगे, वो मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. टाइम-टेबल के अनुसार, परीक्षाएं सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे की पाली में होंगी. प्रदेश भर में 20 लाख से अधिक परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे. इस बार हर केंद्र पर कलेक्टर प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाएगी. अभी तक यह थाना स्तर पर ही रहते थे. 


जानें क्‍या है एस्‍मा
इस दौरान कोई गोपनीयता भंग करते पकड़ा जाता है, तो उस पर 10 लाख तक का जुर्माना और 10 साल की सजा हो सकता है. इसके लिए मंडल ने प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. पिछले साल बोर्ड परीक्षाओं के दौरान सोशल मीडिया पर पेपर वायरल का मामला सामने आया था. इस वजह से मंडल ने अभी से ही प्रश्नपत्रों की गोपनीयता के लिए तैयारी शुरू की है. गौरतलब है कि एस्‍मा यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट को हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है. 


यह कानून तब इस्तेमाल किया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.खास बात यह है कि इस कानून ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है. हालांकि, इस कानून को लगाने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन देना आवश्यक होता है. एस्मा एक्ट का उल्लंघन करने पर छह माह तक की कैद या ढाई सौ रुपये अर्थदंड या दोनों हो सकते हैं.


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