MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अब और भी रोचक होता जा रहा है. चुनाव को जीतने के लिए प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इस चुनाव में मध्य प्रदेश के कई राजघरानों की साख भी दांव पर लगी हुई है. प्रदेश में ग्वालियर, राघोगढ़, रीवा, चुरहट, मकडई, अमझेरा, खिचलीपुर, देवास, दतिया, छतरपुर, नागौद, अलीपुरा जैसे राजघरानों के सदस्य एमपी की राजनीति में सक्रिय हैं. कोई बीजेपी से तो कोई कांग्रेस से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं. मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान और दिल्ली तक की सियासत में ग्वालियर राजघराने का दबदबा रहा है. वैसे तो 1947 को ग्वालियर रियासत ने भारत में विलय कर लिया था. इसे भारत के नए राज्य मध्य भारत के तहत सम्मिलित किया गया. ग्वालियर राजवंश के पूर्व राजा जीवाजी राव सिंधिया की पत्नी महारानी विजयराजे का राजनीति में कद काफी ऊंचा रहा. मध्य प्रदेश में बीजेपी की जड़े महारानी ने ही मजबूत की. इनके अलावा उनके बेटे माधवराव सिंधिया उनकी एक बेटी यशोधरा राजे सिंधिया और दूसरी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राजनीति में अच्छा नाम बना चुके हैं. राघोगढ़ रियासत से चाचा-भतीजा मैदान मेंवहीं मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गुना जिले के राघोगढ़ राजपरिवार के दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस ने राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे मौजूदा विधायक जयवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं चाचौड़ा से कांग्रेस ने दिग्विजय के छोटे भाई मौजूदा विधायक लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है. राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी. इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह, इस राजघराने के अंतिम शासक रहे, जिसके बाद दिग्विजय सिंह जिन्हें दिग्गी राजा कहा जाता है राजनीति में लगातार सक्रिय हैं. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह दो बार से लगातार विधायक हैं. इसी तरह दिग्विजय सिंह के छोटे भाई भी राजनीति में सक्रिय हैं. वह तीन बार विधायक और पांच बार सांसद रहे हैं. अब फिर वह चाचौड़ा से मैदान में है. चुरहट राजपरिवारसीधी जिले की चुरहट रियासत से आने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह राहुल चुरहट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अर्जुन सिंह का कद कांग्रेस में अव्वल रहा है, दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, पंजाब के राज्यपाल और केंद्र में मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई है. अर्जुन सिंह के पिता शिव बहादुर सिंह चुरहट के 26वें राव थे. चुरहट रियासत रीवा राजपरिवार की एक शाखा हुआ करती थी. अजय सिंह की बहन वीणा सिंह लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं. 

रीवा राजघरानारीवा राजघराने से आने वाले दिव्यराज सिंह को रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से टिकट मिला है. दिव्यराज अभी सिरमौर सीट से ही बीजेपी के विधायक हैं. उनके पिता और पुष्पराज सिंह बीजेपी और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं. पुष्पराज सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. पुष्पराज सिंह के दादा गुलाब सिंह ब्रिटिश राज में रीवा राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे. 

देवास राजघरानादेवास राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गायत्री राजे पंवार को देवास विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है. गायत्री राजे अभी इस सीट से विधायक भी हैं. उनका विवाह देवास के दिवंगत महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पवार से हुआ था. देवास राजवंश के महाराज तुकोजीराव चतुर्थ विक्रमादित्य के राजवंश से संबंध रखते थे. उनके पूर्वजों ने 250 सालों तक देवास राजघराने पर शासन किया. देवास विधानसभा सीट पर पिछले 6 चुनाव से बीजेपी का ही कब्जा है. तुकोजी राव पवार यहां से लगातार 6 बार यहां पर चुने गए और तुकोजी राव पवार का नाता शाही खानदान से रहा है. गायत्री राजे दो बार से विधायक हैं. इस बार भी उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है. इस बार गायत्री राजे कांग्रेस के प्रदीप चौधरी को टक्कर देंगी. 

मकड़ाई राजघरानाखंडवा जिले मे मकड़ाई राजघराने से दो सदस्यों की किस्मत दांव पर है. बीजेपी ने हरसूद विधानसभा सीट पर 7 बार से विधायक और मंत्री कुंवर विजय शाह को उतारा है. कांग्रेस ने फिर सुखराम साल्वे पर भरोसा जताया है, वहीं टिमरनी विधानसभा से बीजेपी ने विजय शाह के भाई संजय शाह को टिकट दिया है. दोनों का मकड़ाई राजघराने से नाता है. विजय शाह ने बीजेपी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा था. जबकि विजय शाह के एक भाई अजय शाह कांग्रेस में हैं. मकड़ाई रियासत के अंतिम शासक देवी शाह थे. इस रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राज गोंड राजा कर्कट राय ने 1663 में की थी. 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यहां के शासक भारत संघ में शामिल हो गए और रियासत को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया. 2012 तक मकड़ाई के नामधारी महाराजा राजा अजय शाह हैं. 

अमझेरा राजघरानाधार जिले की अमझेरा राजघराने से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवारी थमाई गई है. अमझेरा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजवर्धन शिवराज सरकार में उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. स्थानीय लोग उन्हें दत्तीगांव जागीर के नामधारी मुखिया या दत्तीगांव के महाराजा या राव साहब के नाम से बुलाते हैं. राजवर्धन चार बार से बदनावर के विधायक हैं. राजवर्धन सिंह दत्तीगांव महराणा बख्तावर सिंह से वंशज हैं. महराणा बख्तावर सिंह अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया था. अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सन 1857 में झांसी, ग्वालियर, उत्तर प्रदेश के विद्रोह की हवा मालवा में भी आई. धार से 30 किमी दूर अमझेरा में तब बख्तावर सिंह का राज था. 

खिलचीपुर राजघरानाखिचलीपुर राजघराने के प्रियव्रत सिंह का भी राजनीति में रसूख है. कांग्रेस से विधायक हैं कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हैं, राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से तीन बार से विधायक है. राजपरिवार के सदस्य और सेवढ़ा सीट से कांग्रेस विधायक कुंवर घनश्याम सिंह एक बार के विधायक हैं. मुकाबला बीजेपी से प्रदीप अग्रवाल से हैं. 2018 मे बीएसपी के विधायक राधे लाल बघेल भी मैदान में है. वहीं सतना जिले की नागौद विधानसभा से नागौद राजघराने से बीजेपी प्रत्याशी नागेंद्र सिंह चुनावी मैदान में है. तीन बार से विधायक रहे नागेंद्र सिंह का इस बार कांग्रेस की रश्मी पटेल से मुकाबला हैं, तो दूसरी तरफ  बीएसपी से यादवेंद्र सिंह जो कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं. वह भी मैदान में है.

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