MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जैस ही नजदीक आते जा रहे हैं, बीजेपी और कांग्रेस में रार बढ़ती जा रही है. अब जिस मुद्दे पर दोनों दल एक दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं, वह है प्रदेश की महिलाओं के लिए चलाई जाने वाली योजना. दरअसल, एक जून 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश निकाला, जो 'मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष' और 'सीएम उद्यम शक्ति योजना' की मॉनिटरिंग करने के लिए था. 


प्रशासन द्वारा जारी किया गया ये आदेश अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. कांग्रेस का दावा है कि इस सरकारी आदेश में कमलनाथ की 'नारी सम्मान योजना' का जिक्र है. 


'कांग्रेस ने चुराई बीजेपी की योजना'- उप सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग 
यहीं से बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी लड़ाई शुरू हो गई. इस बात पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि अगस्त 2022 की कैबिनेट में 'मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष' का जिक्र पहले से है. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने तो इस योजना को चुराया है. इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के उप सचिव अजय कटेसरिया ने भी बयान दिया है. 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि सीएम नारी सम्मान कोष और उद्यम शक्ति योजना का संचालन महिला वित्त विकास निगम करता है. इसे अगस्त 2022 में ही कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी. उसी की मॉनिटरिंग के लिए एक जून को कमेटी बनी है. 


'अफसरशही ने भी कमलनाथ को माना सीएम'- पीयूष बबेले
वहीं, कमलनाथ के मीडिया एडवाइजर पीयूष बबेले ने प्रशासन के आदेश को ट्वीट करते हुए कैप्शन में लिखा- 'अब अफसरशाही ने भी कमलनाथ को मन से मुख्यमंत्री मान लिया है. सरकारी आदेश में कमलनाथ की नारी सम्मान योजना का पक्ष निकाला गया है. मुख्यमंत्री की योजना का नाम गायब है.'


इसके बाद ट्विटर पर भी दोनों पार्टियों में जंग छिड़ गई. पीयूष बबेले को जवाब देते हुए बीजेपी नेता नरेंद्र सलूजा ने कैबिनेट नोट जारी कर दिया. उन्होंने कहा 'मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष' शिवराज सरकार ने बनाया था और इसे कैबिनेट से मंजूरी दी थी.


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