मध्य प्रदेश में भगवान कृष्ण के नाम को लेकर नई बहस छिड़ गई है. मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने ऐलान किया है कि अब “कृष्ण को माखन चोर कहने” की परंपरा को सही मानने के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा. सरकार का कहना है कि भगवान को ‘चोर’ कहना उचित नहीं है और इस नाम के पीछे की सच्चाई लोगों तक पहुंचानी होगी.
क्यों खटक रहा है ‘माखन चोर’ नाम?
सरकार का तर्क है कि मुगलों के समय में षड्यंत्र के तहत भगवान कृष्ण को ‘चोर’ कहकर बदनाम किया गया. मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार श्रीराम तिवारी का कहना है कि असल में कृष्ण ने बचपन में ग्वाल-बालों के साथ मिलकर माखन बांटा, ताकि वह कंस तक न पहुंचे. यह उनके विरोध का प्रतीक था, न कि चोरी.
सरकार का दावा है कि कृष्ण के घर में हजारों गाय थीं, ऐसे में उन्हें चोरी करने की कोई जरूरत ही नहीं थी. यही नहीं, कई भजनों में भी लिखा है कि “मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो”, यानी कृष्ण खुद चोरी से इनकार करते हैं.
बड़े स्तर पर चलाएगी अभियान
मोहन सरकार इस अभियान को बड़े स्तर पर चलाने जा रही है. इसके लिए लेख, सोशल मीडिया कैंपेन, मीडिया डिबेट और संगोष्ठियों का सहारा लिया जाएगा. साधु-संतों और कथावाचकों से भी अपील की गई है कि वे अपने प्रवचनों में इस विषय पर चर्चा करें और लोगों को समझाएं कि भगवान कृष्ण को ‘चोर’ कहकर संबोधित करना गलत है.
धर्माचार्यों के अलग-अलग मत
इस मुद्दे पर धार्मिक जगत में भी मतभेद सामने आ रहे हैं. कृष्ण प्रणामी मंदिर भोपाल के महंत पंडित रामस्वरूप शर्मा का कहना है कि बदली परिस्थितियों में यह नाम गलत अर्थों में इस्तेमाल हो सकता है. “आज के दौर में विधर्मी इस नाम का मजाक बना सकते हैं, इसलिए सरकार का अभियान सही दिशा में है.”
वहीं, पुजारी अमरनाथ शर्मा कहते हैं कि अगर आज माखन चोर नाम बदलेंगे, तो कल चितचोर, रणछोड़ या श्याम जैसे नामों पर भी आपत्ति होने लगेगी. “भगवान के हजारों नाम हैं, उनमें बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है.”
कृष्ण की भक्ति करने वाली महिलाएं इस मामले को अलग नजरिए से देखती हैं. उनका कहना है कि यह नाम गोपियों और मां यशोदा की स्नेह की निशानी है. “हमारे लिए माखन चोर नाम चोरी का भाव नहीं, बल्कि प्यार का प्रतीक है. गोपियां तो चाहती थीं कि कृष्ण उनके घर आकर माखन चुराएं. हमें इसमें कोई बुराई नहीं लगती.”
कृष्ण मुद्दे पर कांग्रेस ने मारी एंट्री
राजनीति ने भी इसमें एंट्री मार ली है. कांग्रेस ने कहा है कि अगर सच में यह षड्यंत्र है तो सरकार जांच कमेटी बनाए और दोषियों को सजा दे. विपक्ष का तंज है कि धार्मिक भावनाओं के नाम पर सरकार राजनीति कर रही है.