Ujjain News: महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivaratri 2023) का समापन भस्म आरती (Bhasm Aarti) के साथ हो गया. अलसुबह होने वाली भस्म आरती रविवार को दोपहर 12 बजे शुरू हुई. दोपहर 2:30 बजे तक भगवान की पूजा अर्चना और आरती का दौर चलता रहा. भस्म आरती के साथ महाशिवरात्रि पर्व का समापन हो गया. आपको बता दें कि देशभर के शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि का पर्व एकदिवसीय होता है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 10 दिवसीय महोत्सव मनाया जाता है. महोत्सव की शुरुआत शिव नवरात्रि से होती है.


भस्म आरती के साथ महाशिवरात्रि समाप्त


महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी संजय ने बताया कि शिव नवरात्रि के दौरान भगवान को प्रतिदिन अलग-अलग स्वरूप में दूल्हा बनाया जाता है. दूल्हा बनने के बाद महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान का विशेष पूजन होता है. महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन भगवान की दोपहर में भस्म आरती होती है. रविवार को दोपहर 12:00 बजे भगवान का जलाभिषेक किया गया. जलाभिषेक के बाद भगवान महाकाल का रस स्नान कराकर दोपहर में भस्म आरती हुई. महंत विनीत गिरि महाराज ने परंपरा अनुसार भगवान महाकाल को भस्म से स्नान कराया. इसके बाद भव्य आरती की गई. 




निराकार और साकार रूप के पीछे संदेश


महाकालेश्वर मंदिर के पुरोहित विनोद शर्मा ने बताया कि भगवान महाकाल निराकार रूप से साकार रूप और फिर साकार रूप से निराकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान का सेहरा सजाया गया. इस दौरान भगवान महाकाल ने शंकर अर्थात साकार रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए. इसके बाद सेहरा उतार कर भगवान का जलाभिषेक किया गया. भगवान शिव निराकार से साकार रूप में दर्शन देकर भक्तों को बड़ा संदेश देते हैं. निराकार और साकार रूप के पीछे संदेश छिपा है कि लोगों को धन, ऐश्वर्य और अन्य सांसारिक सुखों का उपभोग हमेशा नहीं हो सकता है. समय परिवर्तनशील है और शरीर नश्वर है. 


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