Water Scarcity in MP: मध्यप्रदेश में इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है. सूर्य नारायण का पारा इस कदर बढ़ रहा है कि आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. इस बीच मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल लगातार लू की चपेट में है. इस दौरान आम जीवन के लिए मूलभूत सुविधाओं में उपलब्ध होने वाला पेयजल भी प्राप्त करना दूभर हो गया है. लगातार बढ़ रही गर्मी के चलते ग्रामीण अंचलों में पेयजल संकट भयंकर रूप से गहरा रहा है.


दूसरी ओर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा जल निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के खाली पड़े हैंडपंप आम जनता को मुंह चिढ़ा रहे हैं.


गर्मी में गहराया जल संकट
गर्मी की दस्तक के साथ ही हैंडपंपों ने पानी देना भी बंद कर दिया है कई शिकायतें कई आवेदन विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों की टेबल की शोभा बढ़ा रहे हैं. लेकिन समस्याओं को दूर करने की कोशिश कोई नहीं कर रहा है. ग्रामीण अंचलों के लोगों को पेयजल संकट से लगातार जूझना पड़ रहा है स्थिति इतनी विकट है कि सरकारी नलों या व्यक्तिगत ट्यूबवेलों साथ ही खेतों से ग्रामीण लंबी-लंबी कतारों में पानी लाते हुए दिखाई देते हैं.


जल संकट से परेशान हुए ग्रामीण
तपती हुई गर्मी और उस पर पीने के पानी को लाने का संकट ग्रामीण जनता को अंदर से झकझोर कर रख देता है. मध्यप्रदेश के गांवों में लगभग 18,000 से अधिक हैंडपंप 16 सौ से अधिक सिंगल फेस मोटर कंडम हालत में है. वहीं प्रदेश के अंदर लगभग 1 हजार नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं. हैंडपंपों को सुधारना और जल उपलब्ध कराना ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी है. लेकिन हकीकत यह है कि 11 हजार से अधिक हैंडपंपों में पानी ही नहीं है.


गांव में पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की है कई पंचायतों ने इसकी सूचना विभाग को दे रखी है. लेकिन सूचनाएं केवल फाइलों में ही दर्ज हैं जिसका परिणाम यह है कि ग्रामीण पेयजल के लिए ही दर-दर भटक रहे हैं.


मध्य प्रदेश में हैं कुल 557185 हैंडपंप
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में 557185 हैंडपंप है यदि पीएचई की रिपोर्ट पर गौर करें तो इनमें से 18000 हैंडपंप खराब पड़े हैं या सुधारे जा सकते हैं.पर अधिकारियों का ध्यान उनकी ओर नहीं जा रहा है जबकि 3100 ऐसे हैं जिनमें कोई सुधार की संभावना ही नहीं है. ऐसे ही हालात सिंगल फेस मोटर को लेकर हैं 1600 सिंगल फेस मोटर खराब होने से इतने ही गांव में पेयजल की व्यवस्था पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई है. 900 मोटरे सुधार योग्य नहीं है,400 के लगभग पंप खराब है. लगभग 53 मोटरें ऐसी है जिनका उपयोग पंचायतें नहीं कर पा रही है. इन आंकड़ों को देखकर समझ आता है की जिम्मेदार मौन हैं और उन्हें आम ग्रामीण जनों की दुर्दशा दिखाई नहीं देती.


सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप खराब
यदि हम सीहोर जिले के ग्रामीण अंचलों की बात करें तो सैकड़ों की संख्या में ऐसे ग्रामीण अंचल हैं जिनके हैंडपंप खराब पड़े हैं. जिन्हें अभी तक सही कराने की जिम्मेदारी अधिकारियों ने नहीं उठाई है. सीहोर, इछावर, आष्टा, जावर, नसरुल्लागंज क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में हैंडपंप महीनों से खराब पड़े हैं. जब हमने ग्रामीण क्षेत्र के संदीप वर्मा, महेश वर्मा, दुलीचंद, राही आदि ग्रामीणों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि सभी ग्रामवासी दूसरे मोहल्लों या प्राइवेट टैंकरो से पानी लाने के लिए मजबूर हैं. वहीं सरकार की ओर से पेयजल संकट दूर करने के बड़े-बड़े दावे बड़ी-बड़ी योजनाओं के माध्यम से किए जा रहे हैं.


लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है स्थिति तो वहां और दयनीय हो जाती है जब हैंडपंप शोपीस बनकर खड़े हैं और असामाजिक तत्व उनमें से पाइप सहित सामग्रियां चोरी करते चले जा रहे हैं.


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