Story of IIT drop out Sagar Patidar's Struggle to start a Startup: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर पाटीदार ने 2011 में देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (Joint Entrance Examination) पास किया, उनकी सफलता ने उनकी परिवार की खुशियों में चार चांद लगा दिया. सागर अपने गावं के पहले इंजीनियर (Engineer) थे और वह JEE के परिणाम से संतुष्ट थे. बाद में उन्होंने अपना स्टार्टअप (Startup) शुरू करने के लिए, IIT में ग्रेजुएशन इंजीनियरिंग (Graduation Engineering) के चौथे साल में पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया.


मध्य प्रदेश के मंदसौर गांव (Mandsaur Village) के रहने वाले सागर पाटीदार किसान परिवार (Farmer Family) से ताल्लुक रखते हैं. वह बचपन से ही मेधावी छात्र थे, उन्होंने अपनी 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई गावं के ही एक सरकारी स्कूल (Government School) में की, कक्षा 6वीं में पढ़ाई के लिए सागर ने जवाहर नवोदय विद्यालय (Jawahar Navoday Vidyalay) में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया. इसमें वह सफल रहे, बाद में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से नवोदय से हासिल की. 


बकौल सागर यहां एडमिशन लेने के बाद, उनके जीवन ने एक बदलाव आया. उन्होंने बताया कि, "यहां एडमिशन लेना के बाद, मेरे टीचर और सीनियर ने हर मोर्चे पर मेरी मदद की. मेरे टीचर ने मेरी क्षमताओं के आधार पर मुझे इंजीनियरिंग के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि मुझे 10वीं बाद JEE की तैयारी के लिए कोटा (Kota) का रुख करना चाहिए."


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सागर ने आगे बताया कि, "आर्थिक तंगी (Financial Constraints) और विश्वास में कमी के साथ, इंजीनियरिंग के बारे में बहुत कम जानकारी के कारण यह आसन नहीं था. हालांकि मेरे एक ही उद्देश्य था, एग्जाम पास करना और IIT में एडमिशन लेना. जिससे मैं एक अच्छी नौकरी के जरिये परिवार की आर्थिक सहायता सकूं. हालांकि JEE क्वालिफाई करने के बाद भी सागर अपने विषयों को दुविधा में रहे, लेकिन कंप्यूटर साइंस (Computer Science) में रूचि के कारण इसे अपना विषय चुना.


स्टार्ट-अप कंपनियों के साथ इंटर्न करते हुए, भुगतान ऐप पर शुरू किया कम


सागर पाटीदार ने साल 2011 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक (B.Tech) के लिए आईआईटी-दिल्ली (IIT-Delhi) एडमिशन लिया. आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उन्होंने ने गर्मी और ठंडक की छुट्टियों में अलग-अलग स्टार्ट-अप के साथ इंटर्न के रूप में काम किया, यहीं से उनकी रूचि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट (Software Development) में हुई. इसी दौरान सागर और उनके रूममेट ने अपने पहले भुगतान ऐप सिबोला पर काम शुरू किया. जहां हमने अपने तकनीकी उद्यमिता (Technological Entrepreneurship) की रूचि को देखते हुए, ग्रेजुएशन डिग्री के चौथे साल में IIT छोड़ने का फैसला किया. इस फैसले में उनके परिवार ने समर्थन तो किया, लेकिन किसी भी तरह की आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिया.


सागर को अपने शुरूआती भुगतान ऐप को तैयार कर लिया, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के विभिन्न मानदंडों के कारण उनका आवेदन विफल हो गया. उन्होंने इस विफलता को एक सबक की तरह लिया. जिसके बाद उन्होंने बाजार संरचना को समझने के लिए, दो साल तक एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी के साथ काम करने का फैसला किया. इस कंपनी के साथ सागर ने दो साल से अधिक समय तक काम किया, जहां साल 2018 में उन्होंने खुद की कस्टम सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सर्विस प्राइमाथॉन (Custom Software Development Service, Primathon) लॉन्च करने के लिए नौकरी छोड़ दी.


दस हजार घंटे की कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है


इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, सागर पाटीदार ने सफलता के लिए अपने मूलमंत्र शेयर करते हुए कहा, "कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में दस हजार घंटे कड़ी मेहनत करे, तो कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है. मैंने इस नियम का पालन JEE की तैयारी के दौरान किया, फिर नौकरी के दौरान अपनी रुचि को समझने के लिए और यहां तक ​​कि अपना स्टार्टअप शुरू करने के बाद भी मैं इसका पालन कर रहा हूं. कड़ी मेहनत हमेशा परिणाम देती है और सफलता पाने का यही एकमात्र तरीका है."  


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