भोपाल: ग्वालियर में एक सहायक जेलर के निवास पर लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार तड़के रेड डाली. सहायक जेलर हरिओम शर्मा मुरैना जेल में पदस्थ हैं.बता दें कि सप्ताह भर में मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की यह दूसरी कार्रवाई है.इससे पहले बुधनी विधानसभा के नसरुल्लागंज में जेल को लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा था.


जानकारी के अनुसार मुरैना जेल में सहायक जेलर के रूप में पदस्थ हरिओम शर्मा पर आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकायुक्त द्वारा कार्रवाई की जा रही है.शहर के गोले का मंदिर, कृष्णा नगर स्थित कृष्णा अपार्टमेंट स्थित फ्लैट पर रेड पड़ी है.लोकायुक्त टीम आय से अधिक संपत्ति से जुड़े हुए दस्तावेज खंगालने में जुटी है.बता दें कि लोकायुक्त की इस कार्रवाई क्षेत्र में हड़कंप की स्थिति बन गई.सुरक्षा की दृष्टि से सहायक जेलर हरिओम शर्मा के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात हैं. कार्रवाई में क्या क्या मिला,इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है. टीम आय से अधिक संपत्ति मामले में दस्तावेज की जांच पड़ताल कर रही है.






इससे पहले नसरुल्लागंज में पड़ा छापा
आपको बता दें दो सप्ताह पहले लोकायुक्त पुलिस ने नसरुल्लागंज के सहायक जेल अधीक्षक को 20 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.पांच जनवरी को अर्जुन पंवार निवासी बजरंगकुटी नसरुल्लागंज ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त भोपाल को शिकायती आवेदन दिया कि सहायक जेल अधीक्षक महावीर सिंह बघेल नसरुल्लागंज जेल में बंद आवेदक के साले रामनिवास उर्फ भूरा एवं अन्य चार लोगों को प्रताडि़त न करने व उनसे मुलकात करवाने व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के एवज में प्रत्येक से 20 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है.


इस शिकायत की जांच में पाया गया था कि महावीर सिंह बघेल की छवि एक भ्रष्ट अधिकारी की है. उसकी रिश्वत संबंधी शिकायत सही पाए जाने पर पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त भोपाल के निर्देशन में डीएसपी सलिल शर्मा के नेतृत्व में ट्रेपकर्ता अधिकारी निरीक्षक घनश्याम सिंह मर्सकोले,निरीक्षक आशीष भट्टाचार्य,निरीक्षक मयूरी गौर की टीम ने द्वारा योजनाबद्ध तरीके से आरोपी सहायक जेल अधीक्षक महावीर सिंह बघेल को उनके जेल परिसर के समीप स्थित शासकीय आवास पर जेल प्रहरियों व द्वारपाल को चकमा देकर कुशलतापूर्वक 20 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था.


ये भी पढ़ें


Congress Politics: दिग्विजय के गढ़ में पार्षदों की 'बाड़ाबंदी', क्या कांग्रेस ने पार्षदों को भेजा सुरक्षित स्थान पर?