MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चुनाव (Election) की रेवड़ी रोजगार पर बहुत भारी पड़ रही है. बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में अपनी अपनी प्राथमिकताओं को अभी से जनता के पटल पर रखना शुरू कर दिया है. कोई 1000 दे रहा है तो कोई 1500 रुपये हर महीने देने का वादा कर रहा है, लेकिन रोजगार को लेकर कोई ठोस कदम या बड़ा वादा देखने को नहीं मिल रहा है.
इसके पीछे एक दो नहीं बल्कि अनेकों कारण बताए जा रहे हैं. शिवराज सरकार ने लाडली बहना योजना के जरिए 5 एकड़ से कम जमीन और चौपहिया वाहन नाम नहीं होने पर निर्धारित शर्तों के अनुसार महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने की घोषणा की है.
कांग्रेस ने की है ये घोषणा
इस पर आने वाले कुछ महीनों में अमलीजामा भी पहना दिया जाएगा. इस योजना को पूरी बीजेपी जोर शोर से मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में चला रही है. ऐसा माना जा रहा है कि यह योजना शिवराज सरकार को एक बार फिर सत्ता में लाने के लिए काफी है. हालांकि कांग्रेस में और भी बड़ा पांसा फेंक दिया है. कांग्रेस ने घोषणा की है कि उनकी सरकार बनने पर मध्य प्रदेश की महिलाओं को बिना शर्त क 1500 रुपये हर महीने दिए जाएंगे.
कांग्रेस ने जो पहली पांच प्राथमिकता जनता के सामने रखी है, उनमें किसानों का कर्जा माफ, महिलाओं को 1500 रुपये हर महीने, 500 में गैस सिलेंडर, पुरानी पेंशन लागू करना और100 रुपये में 100 यूनिट बिजली मुख्य है. बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी रोजगार को लेकर कोई बड़ा वादा नहीं किया है. इससे साफ तौर पर नजर आ रहा है कि चुनाव रेवाड़ी के आगे रोजगार की समस्या बोनी दिखाई दे रही है.
कमलनाथ ने स्वीकार किया एक करोड़ बेरोजगार
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात को स्वीकार किया कि मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सरकारी रिकॉर्ड में 40 लाख बेरोजगार पंजीकृत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या एक करोड़ है. पूर्व मुख्यमंत्री इस बात को जरूर मान रहे हैं कि मध्य प्रदेश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है, लेकिन रोजगार को लेकर उनकी तरफ से अभी कोई ठोस वादा सामने नहीं आया है.
एक लाख नौकरियां भी ऊंट के मुंह में जीरा
शिवराज सरकार ने अगस्त माह तक एक लाख नौकरियां देने का वादा किया है. इसकी भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. कुछ विभागों में भर्तियां भी की जा रही हैं. यह भर्तियां भले ही सरकार की नजर में काफी बड़ी संख्या हो, लेकिन जिस प्रकार से बेरोजगारों को लेकर दावे किए जा रहे हैं, उसके मुताबिक यह आंकड़ा काफी छोटा है.
सरकारों पर कर्ज भी बेरोजगारी का बड़ा कारण
मध्य प्रदेश में भले ही बीजेपी की सरकार रही हो या फिर कांग्रेस की दोनों ही सरकारों ने कर्ज लेने में कोई कंजूसी नहीं की. साल 2003 तक दिग्विजय सिंह की सरकार मध्य प्रदेश में रही थी. उस समय सरकार पर 20,000 करोड़ का कर्ज था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मानें तो वर्तमान में सरकार पर सवा तीन लाख करोड़ का कर्ज है. शिवराज सरकार को हर साल 20000 करोड़ रुपये ब्याज भरना पड़ रहा है. सरकारों पर आर्थिक बोझ भी बेरोजगारी का बड़ा कारण है. इसी वजह से भी रोजगार के नए अवसर सृजन नहीं हो पा रहे हैं.